आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने का उत्तम समय, इसका खर्चा और सही हॉस्पिटल का चुनाव कैसे करें |

आईवीएफ (IVF) का उपचार करवाना कब कारीगर माना जाता हैं

आईवीएफ (IVF) किसे कहा जाता हैं ?

 आईवीएफ (IVF) को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के नाम से जाना जाता है।

  • तो दूसरी और जब शरीर अंडों को निषेचित करने में विफल रहता है, तो उन्हें प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है।
  • तो वही जब अंडे निषेचित हो जाते हैं, तो भ्रूण को मां के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसलिए ही इसे आईवीएफ के नाम से जाना जाता है।
  • सही मायने में देखा जाए तो यह प्रक्रिया इंफर्टिल दम्पति, और उन लोगों के लिए सहायक है जिनको कोई जननिक (genetic) परेशानी है।
  • तो वही आईवीएफ के दौरान जन्म लेने वाले बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता हैं |

आईवीएफ (IVF) करवाने का सही समय कब हैं |

इस अवस्था में बहुत बहुत से जोड़ो के मन में विचार आता होगा की आईवीएफ का उपचार हमे कब करवाना चाहिए ! लोगो की इस चाहत को शांत करने के लिए हम इस गद्यांश में आईवीएफ से जुडी हर बातें प्रस्तुत करेंगे ताकि आपको आपके सारे सवालो का जवाब मिल सके..,,,,,,,,,,,

० महिला के फ़ैलोपिन ट्यूब में समस्या।

० अनेक प्रयत्न के बाद भी प्रेगनेंसी में असफलता का हाथ आना।

० महिलाओं के अंडाशय में अंडे के परिपक्व का न होना।

० पुरुषों में शुक्राणु की कमी का होना।

० बड़ी उम्र होने पर।

० महिला में कैंसर की कीमोथेरपी का होना।

० पुरुषो के IUI असफल हो जाने पर।

आईवीएफ (IVF) के दौरान खर्चा कितना आता हैं ?

 अगर बात की जाए भारत कि तो सामान्यतः आईवीएफ खर्च में 65,000 से 95,000 रुपए तक की लागत आती है।

  • जबकि अफोर्डेबल आईवीएफ तकनीक की कीमत 40,000 रुपए तक होती है।

सुझाव :

  अगर आप भी बांझपन की समस्या से है परेशान तो पंजाब में आईवीएफ उपचार, पंजाब में आईवीएफ सेंटर का करें, चुनाव|

आईवीएफ ट्रीटमेंट का इलाज क्या हैं ?

  ० इस तकनीक में डॉक्टर, महिला के अंडाशय में से अण्डों को बाहर निकाल कर प्रयोगशाला में पुरुष के शुक्राणु के साथ

मिलाकर भ्रूण तैयार करते है | जिसे हम एम्ब्रो कहते हैं और इस भ्रूण (एम्ब्रो) को महिला के गर्भाशय में डाला जाता

है,जिससे कि वो गर्भधारण आसानी से कर सके |

० तो वही अगर कोई दंपत्ति 1साल से भी अधिक लगातार गर्भधारण करने के प्रयास के बाद भी निःसन्तानता से परेशान

है,,, तो ऐसे दंपत्ति को असिस्टेड रिप्रोडक्टिव (बांझपन की समस्या से निज़ात) तकनीक की जरुरत पड़ती है |

० बता दे कि आईवीएफ उपचार के दौरान डॉक्टर्स आधुनिक वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल करते है, जिसके द्वारा

गर्भधारण आसानी से करवाया जा सकता है|

० तो वहीं आईवीएफ इलाज के एक चक्र में लगभग दो महीने का समय लगता हैं।

आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद कौन सी सावधानियां है आवश्यक |

  • स्वस्थ खान पान का सेवन।
  • पूरे बैड रेस्ट की आवश्यक्ता नही है।
  • नसीलें प्रदार्थो के सेवन से खुद को सुरक्षित रखें।

निष्कर्ष :

उम्मीद करते है कि आपको इस गद्यांश के माध्यम से पता चल गया होगा की आईवीएफ का उपचार कब करवाना चाहिए, इसके साथ ही यदि आप भी बाँझपन की समस्या से परेशान हैं तो सोफत इनफर्टिलिटी एंड वूमेन केयर सेंटर आइये और यहाँ के अत्यधिक उपकरणों से आईवीएफ का उपचार करवाए। तो वही यहाँ के अनुभवी डॉक्टर सुमिता सोफत और उनकी टीम हरसंभव प्रयास करेंगे की आपको इस उपचार से संतुष्ट किया जा सके।