चलिए जानते है की टेस्ट ट्यूब बेबी ट्रीटमेंट कैसे की जाती है :
- प्राकृतिक मासिक धर्म चक्र को दबाने
सबसे पहले महिला को दवाएँ दी जाती हैं जिससे की प्राकृतिक मासिक धर्म चक्र बंद हो सके | यह महिला को इंजेक्शन की रूप में लगभग 2 हफ्तों के लिए लेने पड़ते हैं |
- सुपर ओव्यूलेशन
फर्टिलिटी ड्रग जिनमे की प्रजनन हार्मोन कूप उत्तेजक हार्मोन (FSH) महिला को दिए जाता है | इसकी मदद से अंडो की मात्रा अधिक तेज़ी से बढ़ती है जो की ट्रीटमेंट को सफल बनाने में सहायता करती है |
- अंडा पुनः प्राप्ति
इसके बाद अंडो को इकट्ठा किआ जाता है , जो की बहुत की माइनर सर्जिकल ट्रीटमेंट है | योनि में बहुत की बारीक नीडल डाली जाती है जो की ओवरी तक पहुंचती है | फिर सक्शन डिवाइस की सहायता से अंडो को बहार निकला जाता है | ट्रीटमेंट की सफलता को बढ़ाने के लिए 15 अंडो को निकला जाता है |
- गर्भाधान और निषेचन (Insemination and Fertilization)
एकत्र किए गए अंडो को मेल स्पर्म के साथ बहुत ही कंट्रोल पर्यावरण में रखा जाता है, जिससे की स्पर्म और अंडा मिल सके | अगर मेल इनफर्टिलिटी की समस्या है तो इंट्रा साइटोप्लाज्मिक शुक्राणु इंजेक्शन (intracytoplasmic sperm injection) की सहायता ली जाती है |
निषेचन के बाद भ्रूण (embryo) बन जाता है | कई फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स टट्रीटमेंट की सक्सेस को बढ़ाने के लिए पूर्व प्रत्यारोपण आनुवंशिक निदान (PGD) कर सकते हैं , जिससे की एम्ब्र्यो में आनुवांशिक विकार का पता लग जाता है | एम्ब्र्योलॉजिस्ट वही एम्ब्र्यो चुनता है जिसके गुण सबसे अचे होते है |
- भ्रूण हस्तांतरण
इसका मतलब है एम्ब्र्यो को ट्रांसफर करना महिला के गर्भ में | डॉक्टर आपसे सलाह करेंगे की आपको कितने एम्ब्र्यो ट्रांसफर करने है | ध्यान रखे की एक से अधिक एम्ब्र्यो ट्रांसफर करने पर बहु गर्भावस्था (मल्टीप्ल प्रेगनेंसी) के चान्सेस बढ़ जाते हैं | जब एम्ब्र्यो कोख की लाइनिंग से जुड़ जाता है तो एक स्वस्थ एम्ब्र्यो का विकास होता है |
टेस्टी बेबी क्या है?
टेस्ट ट्यूब बेबी एक ऐसी तकनीक है जो की उन जोड़ों के लिए लाभदायक है जो की बांझपन की समस्या से झूझ रहे हैं | यह ट्रीटमेंट उन महिलाओं के लिए भी सर्वश्रेष्ठ है जो की 40 वर्ष या उससे अधिक आयू में माँ बनना चाहती
है |
टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्च कितना होता है?
भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी ट्रीटमेंट की लागत बाकि देशों के मुकाबले बहुत ही कम है | कुल लागत अलग – अलग कारणों पर निर्भर करती है जैसे की :
- उम्र
- डॉक्टर का अनुभव
- इनफर्टिलिटी की समस्या
- आपकी समग्र स्वास्थ्य
- कोनसे अस्पताल में आप ट्रीटमेंट करवा रहे हैं
क्या टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया दर्दनाक है?
जैसे की एक नार्मल प्रेगनेंसी के अपने चैलेंजेज होते हैं , वैसे ही इस ट्रीटमेंट में कुछ उतर-चढ़ाव आते हैं | परन्तु इसका यह मतलब नहीं है की टेस्ट ट्यूब बेबी ट्रीटमेंट दर्दनायक होता है | जो भी दर्द आपको महसूस होती है बहुत ही यथासंभव न्यूनतम (मिनिमल) होती है , जैसे की:
- इंजेक्शन दवाएं लेना
- अंडाशय की सूजन जब अंडे विकसित होने लगते हैं
- भ्रूण के गर्भाशय में वापस स्थानांतरण करना
- और नौ महीने बाद, प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि से संबंधित दर्द
टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्च 2021
भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्च लगभग 75 से 1.50 लाख के बीच में आ सकता है |
सरकारी टेस्ट ट्यूब बेबी केंद्र का नंबर
सरकारी टेस्ट ट्यूब बेबी केंद्र का नंबर 83373 है |
टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के जनक
रॉबर्ट एडवर्ड्स और पैट्रिक स्टेपटो (gynecologist) में ने 1978 में टेस्ट ट्यूब बेबी का सफल प्रोसीजर इंग्लैंड में किआ था |
टेस्ट ट्यूब बेबी की परिभाषा?
टेस्ट ट्यूब बेबी एक ऐसी तकनीक है जिसमें अंडे से उत्पादित बच्चा महिला के शरीर के बाहर स्पर्म के साथ विकसित किया जाता है | कुछ दिनों बाद इसको महिला की खोक में वापस डाल दिया जाता है |
भारत का पहला टेस्ट ट्यूब बच्चा कौन था?
भारत में सबसे पहले चिकित्सक डॉ सुभाष मुखोपाध्याय टेस्ट ट्यूब ट्रीटमेंट की मदद से 3 अक्टूबर, 1978 को सबसे बच्चे को दुनिया में लाने में कामयाब हुए | उस बच्ची का नाम “दुर्गा” (कनुप्रिया अग्रवाल) था |
विश्व में सबसे पहला टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म कब हुआ था?
पुरे विश्व में फर्स्ट टेस्ट ट्यूब बेबी जो की सफल हुआ था, वह 1978 में था | उसके बाद से इस ट्रीटमेंट की बदौलत बहुत सारे बच्चों का जन्म IVF ट्रीटमेंट के द्वारा हुआ है | विश्व में जिस बच्चे का जन्म इस तकनीक से सबसे पहले हुआ उसका नाम लुईस ब्राउन (Louise Brown) था और वो बिल्कुल स्वस्थ थी |