ये सब जानते हैं कि महिला के जीवन में गर्भावस्था एक अनूठा और परिवर्तनकारी समय होता है, जिसमें कई तरह के शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं।
हालांकि यह परिवर्तन प्राकृतिक होते हैं, पर यह असुविधा और स्वास्थ्य संबंधी समस्या भी पैदा कर सकते हैं, जिन पर ध्यान देने की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। होम्योपैथी इन चिंताओं को प्रबंधित करने के लिए एक कोमल और सुरक्षित पहुंच को प्रदान करती है, जो पारंपरिक दवाओं के साथ जुड़े दुष्प्रभावों के जोखिम के बिना राहत देती है।
होम्योपैथी को एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली कहा जाता है जो व्यक्ति की बीमारी को ठीक करने के लिए शरीर की अपनी प्रतिरक्षा और उपचार प्रणाली के ऊपर काम करती है। आम तोर पर होम्योपैथी को दवाओं, पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। जिन दवाओं को हालांकि प्राकृतिक रूप में वर्गीकृत किया जाता है, आम तौर पर वह गर्भावस्था के लिए सुरक्षित नहीं होती है। पर होम्योपैथिक दवा गर्भावस्था के दौरान और स्तनपान के दौरान बिकुल सुरक्षित होती है। यह गर्भावस्था से पैदा होने वाली स्थितियों जैसे कि सुबह की बीमारी, कब्ज, मतली, अपच और बहती नाक आदि के लिए एक जोखिम-मुक्त समाधान है।
क्या IVF में गर्भावस्था दौरान होम्योपैथिक दवाएँ लेना सुरक्षित माना जाता है?
महिला के शरीर में गर्भावस्था को एक प्रमुख शारीरिक प्रक्रिया माना जाता है। आम तौर पर होम्योपैथी दवा का सबसे आदर्श रूप है, जो एक महिला के गर्भावस्था दौरान लक्षणों और जटिलताओं से निपटने में सक्षम बनाता है। गंभीर बीमारियों के इलाज में होम्योपैथिक उपचार प्रभावशाली साबित हुआ है, जिसमें आम तौर पर मॉर्निंग सिकनेस, सिरदर्द, पाचन संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों में दर्द और गर्भावस्था में होने वाली अन्य सुविधाएं शामिल हैं।
आपको बता दें कि IVF में गर्भावस्था के दौरान होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल पुरे तरीके से सुरक्षित है, क्योंकि कम मात्रा में सक्रिय तत्वों का इस्तेमाल इसमें किया जाता है। जो शरीर की प्राकृतिक क्षमताओं और सामान्य सुधार लाने में मदद करते हैं।

गर्भावस्था में होम्योपैथी के सिद्धांत
कई सदियों से होम्योपैथी का उपचार चला आ रहा है और इसमें ख़ास लक्षणों के आधार पर दवाओं को निर्धारित किया जाता हैं। गर्भवती होने पर होम्योपैथिक दवाओं को लेना आम तौर पर, बिल्कुल सुरक्षित माना जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा कि होम्योपैथी एक प्रणाली है जो शरीर की स्व-उपचार प्रक्रियाओं को उत्तेजित करने के लिए बहुत ज्यादा पतले पदार्थों का इस्तेमाल करती है। होम्योपैथी “जैसे इलाज वैसे ही” के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका अर्थ है जैसे एक पदार्थ सेहतमंद व्यक्ति के अंदर लक्षण पैदा करता है, और एक बीमार व्यक्ति में समान लक्षणों को छोटी खुराकों द्वारा ठीक कर सकता है। होम्योपैथी गर्भवती महिलाओं के लिए एक व्यक्तिगत पहुंच पेश करता है, जो कि एक माँ के अद्वितीय लक्षणों और समग्र सेहत पर विचार भी करता है।

गर्भावस्था दौरान होम्योपैथी के लाभ
सुरक्षा: आम तोर पर होम्योपैथिक इलाज जहरीले नहीं होते और इनका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता, जिसके कारण यह माता और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए ही सुरक्षित माना जाता है।
समग्र दृष्टिकोण: होम्योपैथी में शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए, पूरे व्यक्ति का इलाज किया जाता है।
व्यक्तिगत इलाज : होम्योपैथी उपचार में व्यक्ति के ख़ास लक्षणों और संरचना के अनुसार ही तैयार किया जाता है।
गर्भावस्था से संबंधित सामान्य समस्याएं और उनका होम्योपैथिक उपचार
मतली और उल्टी (सुबह की बीमारी)
नक्स वोमिका: अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान मतली के साथ-साथ चिड़चिड़ापन होता है, तो खासकर खाने के बाद। यह उन महिलाओं के लिए उपयुक्त है, जिनको सुबह के समय मतली और कब्ज रहती है।
सीपिया: जिनको सुबह के समय मतली और उदासीनता या चिड़चिड़ेपन की भावना होती है यह उन महिलाओं के लिए प्रभावी है और जो थोड़ी मात्रा में भोजन करने के बाद अच्छा महसूस करती हैं।
सीने में जलन और अपच
नैट्रम फॉस्फोरिकम: नैट्रम फॉस्फोरिकम सीने में जलन और एसिड रिफ्लक्स के लिए बहुत ज़्यादा प्रभावी है। खास कर उनके लिए जो भारी या वसायुक्त भोजन खाती हैं।
कार्बो वेजिटेबिलिस: यह उन महिलाओं के लिए जिनके पेट में भारीपन महसूस होना, पेट फूलना, डकार और अपच जैसी समस्याओं के लिए उपयुक्त होता है। इसके अलावा जो महिलाएं ताजी हवा से बेहतर महसूस करती हैं।
कब्ज होना
एल्यूमिना: महिला के सूखे, कठोर मल और गंभीर कब्ज के लिए उपयुक्त। जिन महिलाओं की आंतें सुस्त और जिन्हें बहुत ज्यादा काम करना पड़ता है, यह उनके लिए फायदेमंद है।
ब्रायोनिया: पूरे शरीर में सूखापन, सूखा, कठोर मल और कब्ज के लिए प्रभावी है जो महिलाएं चिड़चिड़ी और अकेले रहना पसंद करती हैं, यह उनके लिए फायदेमंद है।
थकान
काली फास्फोरिकम: यह ख़ास तोर पर उन महिलाओं के लिए जो तनाव महसूस करती हैं और यह मानसिक और शारीरिक थकावट के लिए भी प्रभावी है।
फेरम मेटालिकम: यह ज़्यादातर उन महिलाओं के लिए फायदेमंद है जिन्हें चक्कर आना और घबराहट महसूस होती है। ये एनीमिया, थकान और ठंड लगने की प्रवृत्ति के लिए उपयुक्त है।
कमर दद
सीपिया: ये उन महिलाओं के लिए जिन्हें पेट के निचले हिस्से में खिंचाव महसूस और पीठ के निचले हिस्से में दर्द के लिए उपयुक्त है, जो बैठने या लेटने से ठीक हो जाता है।
बेलिस पेरेनिस: ये महिला को ठंड लगने या ज्यादा काम करने के बाद पीठ में दर्द और शारीरिक गतिविधि के बाद दर्द बढ़ने पर यह दवा कारगर है।
गर्भावस्था दौरान होम्योपैथिक उपचार का उपयोग करने के लिए सुझाव
किसी पेशेवर से सलाह लें : किसी भी तरिके के होम्योपैथिक उपचार को शुरू करने से पहले हमेशा एक योग्य होम्योपैथ से सलाह करें, ख़ास तौर पर गर्भावस्था के दौरान।
खुराक और शक्ति: हमेशा होम्योपैथ के द्वारा बताई गई खुराक और शक्ति का पालन करें। जिसमें आम शक्तियों में 6C, 30C और 200C शामिल हैं।
आवृत्ति: दवा को हर 1-2 घंटे में सिर्फ तीव्र लक्षणों के दौरान लिया जा सकता है और फिर लक्षणों में सुधार होने पर इसको घटाकर दिन में 3-4 बार किया जा सकता है।
प्रगति पर नज़र रखें: किसी भी जरूरी समायोजन के लिए अपने होम्योपैथ से सम्पर्क और सलाह लें और अपने लक्षणों और प्रगति पर नज़र रखें।
गर्भावस्था में उपयोग की जाने वाली सामान्य होम्योपैथी दवाएं
1. एकोनाइट दवा
2. अर्निका दवा
3. बेलिस पेरेनिस दवा
4. कालोफिलम दवा
5. सिमिसिफ्यूगा दवा
6. जेल्सीमियम दवा
7. हाइपरिकम दवा
8. काली कार्बोनिकम दवा
9. नक्स वोमिका दवा
10. स्टैफिसैग्रिया दवा आदि।
निष्कर्ष : महिला के शरीर में गर्भावस्था एक प्रमुख शारीरिक प्रक्रिया है और IVF में होम्योपैथी उपचार गर्भावस्था से जुड़ी कई तरह की समस्याओं को संभालने का एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। जो महिला को किसी भी साइड इफ़ेक्ट के बिना रहत देता है। होम्योपैथी उपचार गर्भवती माँ की तंदरुस्ती पर ध्यान केंद्रित करके, व्यक्तिगत उपचार करके, होम्योपैथी एक स्वस्थ और आरामदायक गर्भावस्था का समर्थन करता है। अगर आपको भी इसके बारे में गहराई से जानकारी को प्राप्त करना है और IVF प्रक्रिया में शामिल होना है तो आप आज ही सुमिता सोफत अस्पताल जाके अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से जानकारी हासिल कर सकते हैं।