क्या आप जानते हैं टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि में कितने स्टेप्स होते हैं?

_टेस्ट ट्यूब बेबी करने की विधि!

भारत में ७०% जोड़े प्राकृतिक रूप से बच्चा करने में असमर्थता का सामने करते है| जिसके चलते वे Sofat Infertility and Women Care Centre – The Best Fertility Clinic in Ludhiana के चिकित्स्कों से मश्वरा करते है| हमारे Fertility Experts सबसे पहले एक जोड़े की उपजाऊ क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कुछ दवाइयों की सहायता लेते हैं| परन्तु जब यह दवाइयां इच्छुक परिणाम लाने के लिए सहाई नहीं हो सकती, तब डॉक्टर IVF प्रक्रिया का सहारा लेते हैं|

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टेस्ट ट्यूब बेबी करने की विधि क्या है?

निम्नलिखित टेस्ट ट्यूब बेबी के एहम चरण हैं:

    1. मासिक चक्र में रोक

सबसे पहले स्टेप में महिलाओं को कुछ दवाएं देकर मासिक धर्म को रोका जाता है| यह दवाएं करीबन दो हफ्तों तक महिला को दी जाती हैं जो मासिक चक्र रोक देती हैं|

    1. अधिक अंडे चाहिए होना

इस विधि के द्वारा अधिक अण्डों का उत्पादन किया जाता है जिसे अंग्रेजी में Super Ovulation भी कहा जाता है| इस स्टेप में महिलाओं को FSH – Fertility Stimulating Hormone युक्त कुछ ऐसी दवाइयां दी जाती हैं जो की अधिक अंडे उपजाने में सहाई होती है| इसके बाद योनि का अल्ट्रासाउंड किया जाता है और अंदरूनी स्थिति की जांच की जाती है|

    1. अंडाशय से अण्डों को निकालना

जब पर्याप्त मात्रा में अंडे बनने लगते हैं तो उन्हें शल्यचिकित्सा विधि की सहायता से शरीर से बहार निकाल लिया जाता है| इस स्टेप को Follicular Aspiration भी कहा जाता है|

क्या आप जानते हैं?

विशेषज्ञों का कहना है की यदि एक स्त्री के शरीर से १५ अंडे प्राप्त किये जाएं तो टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया निश्चित की सफल हो सकती है|

    1. अंडे और शुक्राणु का मिलान

चौथे स्टेप में महिला के शरीर से निकाले गए अंडे और पुरुष के वीर्य से प्राप्त किये गए शुक्राणुओं का मिलान करवाया जाता है|

ध्यान दीजिये:

FERTILISATION दो तरीकों से हो सकती है:

प्राकृतिक प्रोसेस

इंट्रासाइटोप्लाज्मिक प्रोसेस

इस प्रोसेस में शुक्राणु अपने आप अण्डों में जाने लगते हैं|

इस प्रोसेस से डॉक्टर अपना समय बचाते हैं और शुक्राणुओं को डायरेक्ट अण्डों में इंजेक्ट करते हैं|

    1. एंब्रियो को ट्रांसफर करना

जब अण्डों और शुक्राणुओं का मेल हो जाता है तो एम्ब्र्यो बनता है| बने हुए एम्ब्र्यो को महिला के गर्भाशय में IMPLANT किआ जाता है| इसलिए इस प्रक्रिया को एम्ब्र्यो इम्प्लांटेशन भी कहते हैं|

    1. प्रेगनेंसी को CONFIRM करना

इस प्रक्रिया के हो जाने के २ हफ्तों तक डॉक्टर महिला को प्रेगनेंसी न चेक करने की सलाह देते हैं, क्योंकि इस २ हफ्ते के समय में चाहे महिला प्रेग्नेंट हो या न हो उसके शरीर में प्रेगनेंसी होर्मोनेस नहीं उपजते तो निश्चित ही उस स्थिती में आपका टेस्ट नेगेटिव आएगा| जब टेस्ट नेगेटिव आएगा तो महिला तनाव से ग्रस्त हो सकती है जिसके चलते गर्भपात होने के चान्सेस बढ़ जाते हैं|