आईवीएफ उपचार सहायक तो है, पर कैसे इसके साइड इफेक्ट्स ने उड़ाए होश ?

जानें आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स ने कैसे उड़ाए लोगो के होश ?

जो जोड़े माँ-बाप बनने के सुख को पाना चाहते है, पर बांझपन की समस्या ने उनकी इस चाहत को पूरा न होने दिया तो आईवीएफ के उपचार ने उनका ये सपना पूरा किया। पर क्या आपने ये सोचा है की इस उपचार का हमारे शरीर पर कितना गहरा नुकसान हो सकता है। अगर नहीं पता तो आज के इस लेख में हम इसी के रिगार्डिंग बात करेंगे ताकि आप इस उपचार का उपयोग अगर अपने पर करे, तो आपको इसके दोनों पहलु का पता हो सके।

आईवीएफ उपचार की जरूरत हमे क्यों पड़ती है ?

इसकी जरूरत हमे निम्न अवस्था में पड़ सकती है ;

  • बांझपन यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या (आईवीएफ) या आनुवंशिक समस्याओं का उत्तम इलाज है। वैसे तो इसके बहुत सारे कारण हो सकते है लेकिन कभी-कभी 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में बांझपन के प्राथमिक उपचार के रूप में आईवीएफ ट्रीटमेंट को करवाने की जरूरत हो सकती है।
  • अगर फैलोपियन ट्यूब ब्‍लॉक या डैमेज हो और पुरुषों में स्‍पर्म काउंट कम हो, महिला ओवुलेशन विकार, प्रीमैच्‍योर ओवेरियन फेलियर, गर्भाशय में रसौली, जिन महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब निकाल दी गई हो, जैसे व्‍यक्‍ति को आईवीएफ की जरूरत पड़ती है।

यदि आपको गर्भ धारण करने में उपरोक्त परेशानी आ रही है, तो आप पंजाब में आईवीएफ उपचार को चुन सकती है।

आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया क्या है ?

इसकी प्रक्रिया निम्नलिखित है ;

  • डॉक्टर से परामर्श ले इस उपचार को शुरू करने से पहले।
  • ओवेरियन स्टिमुलेशन की मदद से महिला के अंदर हार्मोन पैदा करने और एक से ज्यादा अंडे पैदा हो इसके लिए दवाई डालते है।
  • ट्रिगर इंजेक्शन को लगाना।
  • अंडे निकालने की प्रक्रिया में महिला के अंडे को निकाला जाता है और इसको निकालने में 20 से 30 मिनट का समय लगता है।
  • पुरुषो के अंदर के शुक्राणु या स्पर्म को लेकर महिला के अंदर स्थांतरण करना इत्यादि।

आप भी आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया से अच्छे से गुजरना चाहते है, तो पंजाब में आईवीएफ सेंटर से जल्द ही जुड़े।

 

आईवीएफ के जोखिम कारक क्या है ?

इसके साइड इफेक्ट्स को अच्छे से जानने के बाद ही इस उपचार का चुनाव करे ;

  • इस उपचार में कई बार महिलाएं ​प्रीमैच्‍योर बर्थ को भी जन्म दे देती है।
  • ​मानसिक और शारीरिक तनाव जरूर से पड़ता है, इस ट्रीटमेंट की जटिलता के कारण।
  • आईवीएफ के दौरान कई बार ​मल्‍टीपल प्रेगनेंसी हो जाती है।
  • इसमें मिसकैरेज होने की संभावना के बारे में ज्यादा तो नहीं पता पर मिसकैरेज की समस्या उत्पन होने पर काफी दुःख होता है।
  • आईवीएफ के दौरान जो दवाई दी जाती है,, उससे कई बार सिर दर्द, मतली, थकन, ब्लीडिंग की समस्या उत्पन हो सकती है।
  • जब गर्भाशय में गर्भ को रखा जाता है, तो अंडे को रखते समय कई बार गर्भ में ऐठन, सूजन, ब्रेस्‍ट में दर्द की समस्या उत्पन हो जाती है।

 

आईवीएफ के जोखिम कारको से यदि आप बचना चाहते हो तो किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह जरूर से ले और इसके ट्रीटमेंट को करवाने के लिए आप डॉ सुमिता सोफत हॉस्पिटल के संपर्क में जरूर से आए।

निष्कर्ष :

आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया और इसके जोखिम कारको को अच्छे से जानने के बाद ही आप इस उपचार का चुनाव करे। खास बात अगर आप इस ट्रीटमेंट को करवाने के बारे में सोच रहे हो, तो किसी अच्छे डॉक्टर के संपर्क में जरूर से आए। ताकि बाद में चल के आपको इस उपचार के दौरान किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।