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गर्भावस्था के दौरान एक महिला को खुजली की समस्या होना, एक आम बात है, जो आज के समय में कई महिलाओं को परेशान करती है। दरअसल, डॉक्टरी अध्ययनों के अनुसार, अपनी जिंदगी में लगभग 14 से 23 प्रतिशत गर्भवती महिलाएँ खुजली की समस्या का एहसास करती हैं। इस तरह की समस्या की वजह से उनकी नींद और साथ में उनके दैनिक जीवन पर काफी ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ता है। आपको बता दें कि इसके साथ ही, 90 प्रतिशत से जियादा महिलाओं को अपनी गर्भावस्था के दौरान अपनी त्वचा में किसी न किसी तरह के बदलाव का एहसास करना पड़ता है। असल में, अक्सर इस तरह की खुजली ज्यादातर नुक्सान रहत होती है, पर आपको बता दें, कि कुछ स्थितिओं में यह इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस ऑफ़ प्रेगनेंसी (ICP) जैसी गंभीर लिवर के साथ जुड़ी समस्या की शुरुआत भी हो सकती है।
आम तौर पर आईवीएफ वाली गर्भावस्था में खुजली की समस्या को बिलकुल भी हलके में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इस तरह की स्थिति में एक महिला को हार्मोनल जोखिम, लिवर पर दबाव और जटिलताओं की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं। अगर समय पर, इस समस्या की पहचान और निगरानी न रखी जाये, तो माँ और बच्चे दोनों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना काफी ज्यादा मुश्किल हो सकता है। तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करते हैं, कि आखिर गर्भावस्था में खुजली क्यों होती है और इससे बचने के क्या तरीके हो सकते हैं?
गर्भावस्था में खुजली के कारण
आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान खुजली हमेशा सामान्य शारीरिक बदलावों के कारण होती है। हर खुजली किसी गंभीर समस्या का लक्षण हो यह जरूरी नहीं होता है। गर्भावस्था के ज्यादातर मामलों में यह त्वचा में खिंचाव, हार्मोनल बदलाव या गर्भावस्था से जुड़ी त्वचा संबंधी स्थितियों से जुडी होती है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं :
- 1. त्वचा में खिंचाव और रूखापन
- PUPPP दाने
- गर्भावस्था में खुजली और एक्जिमा का प्रकोप
खुजली के गंभीर लक्षण जिनकी तुरंत पहचान करना बहुत ज़रूरी है
दरअसल, गर्भावस्था के दौरान खुजली कभी-कभी गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकती है। इनका सीधा प्रभाव मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा पर पड़ सकता है। विशेष रूप से आईवीएफ गर्भधारण और उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में, ऐसी स्थितियों को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है, इसलिए इनकी तुरंत पहचान करना बहुत ज्यादा जरूरी होता है।
1. गर्भावस्था में इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस (आईसीपी): आईसीपी आमतौर पर, गर्भावस्था के साथ जुड़ी एक गंभीर लिवर बीमारी है।
. लक्षण: महिलाओं को हथेलियों और तलवों पर तीव्र खुजली होना।
2. पेम्फिगॉइड जेस्टेशनिस: पेम्फिगॉइड जेस्टेशनिस एक दुर्लभ स्व-प्रतिरक्षित चमड़ी की बीमारी है।
. लक्षण : इसमें गर्भवती महिला की त्वचा पर अचानक छाले और तीव्र खुजली होने लग जाती है।
3. गर्भावस्था में एक्यूट फैटी लिवर (एफएलपी): एफएलपी गर्भावस्था की एक अत्यंत दुर्लभ और एक जानलेवा बीमारी है।
.लक्षण : 1. लिवर की कोशिकाओं में वसा जमा हो जाना।
2. उल्टी
3. पेट दर्द
4. पीलिया
आईवीएफ गर्भावस्था में खुजली का महत्व
आईवीएफ गर्भावस्था में खुजली का महत्व यही है, कि अगर आपको इस तरह की किसी भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे मामलों में, नियमित रूप से लिवर की निगरानी, समय पर निदान और विशेषज्ञ चिकित्सा देखभाल बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, ताकि माँ और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें।
गर्भावस्था में खुजली का उपचार
घरेलू उपचार
1. इस दौरान खुशबू रहित मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें।
2. ओटमील बाथ या गुनगुने पानी से नहाएं।
3. इस दौरान ढीले सूती कपड़े पहनें।
4. रोजाना पर्याप्त पानी और संतुलित आहार लें।
5. आईवीएफ माताओं को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए
दवाएँ और स्थानीय उपचार
1. गर्भावस्था के दौरान अगर खुजली की समस्या बढ़ जाये तो,
तो डॉक्टर की सलाह पर एंटीहिस्टामाइन दवाओं को लिया जा सकता है
2. कुछ मामलों में, त्वचा की सूजन और जलन को कम करने के लिए हल्के टोपिकल स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जा सकता है। ताकि त्वचा की सूजन, खुजली और जलन कम हो सके।
3. प्रसवपूर्व जाँच कभी न छोड़ें।
निष्कर्ष
गर्भावस्था के दौरान खुजली होना एक आम बात है, लेकिन अगर इसका इलाज न किया जाए या इसके लक्षणों को समय पर न पहचाना जाए, तो यह गंभीर बीमारियों का रूप भी ले सकती है। इसलिए, अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो या आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं, या आप भी इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं और इसका इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही डॉ सुमिता सोफत हॉस्पिटल में आकर अपनी अपॉइंटमेंट बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।




