गर्भावस्था की दूसरी तिमाही (14 से 28 सप्ताह) में महिलाएं किन बातों का रखें ध्यान !

गर्भवती महिलाओं को दूसरी तिमाही का पता कैसे चलेगा ?

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपनी दूसरी तिमाही यानि 13 सप्ताह से 26 सप्ताह के अंत तक का समय होता है। वही इस दौरान महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे, तो अगर आप भी गर्भावस्था के 13 हफ्ते में चल रहीं है, तो लेख के साथ अंत तक बनें रहें ;

गर्भवती महिलाओं में कब शुरू होती है दूसरी तिमाही!

  • प्रेग्‍नेंसी की दूसरी तिमाही 13वें हफ्ते से लेकर 27वें हफ्ते तक होती है। इस दौरान शिशु बड़ा और मजबूत हो रहा होता है। इस समय में कई महिलाओं का पेट बाहर निकलने लगता है। अधिकतर महिलाओं के लिए पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही आसान होती है।

  • वहीं दूसरी तिमाही में सुबह की मतली और थकान कम हो जाती है, जिससे महिलाएं खुद को अधिक ऊर्जावान महसूस करती है।

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में शरीर में कौन से बदलाव आते है !

  • आपको गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में बारबार पेशाब आने की समस्या हो सकती है।

  • आपका गर्भाशय बढ़ सकता है।

  • इस दौरान कुछ महिलाओं के पेट बाहर की और निकल आते है।

  • लो बीपी के कारण चक्‍कर आना या सिर चकराना भी इस तिमाही में ही देखने को मिलता है।

  • शिशु की मूवमेंट को महसूस कर पाना।

  • शरीर में दर्द का होना।

  • भूख का बढ़ना।

  • पेट, स्‍तनों, जांघों और कूल्‍हों पर स्‍ट्रेच मार्क का आना।

  • त्‍वचा में बदलाव आना जैसे कि ब्रेस्‍ट के निप्‍पलों का रंग गहरा होना।

  • खुजली की समस्य।

  • एडियों या हाथों में सूजन का आना आदि।

दूसरी तिमाही में शरीर में आए बदलाव के कारण आपको दर्द का आभास हो रहा है तो इसके लिए आप बेस्ट गयनेकोलॉजिस्ट (महिलाओं की विशेषज्ञ) डॉक्टर का चयन कर सकते है।

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में महिलाओं को कौनसे टेस्ट करवाने चाहिए ?

  • दूसरी तिमाही में हर महिलाओं को अल्ट्रासाउंड का टेस्ट करवाना चाहिए, वहीं ये गर्भावस्था के 18 से 20 सप्ताह के बीच पेट के अंदर किया जाता है। यह अल्ट्रासाउंड बच्चे की शारीरिक रचना या संरचना, बच्चे की माप, उसकी हृदय गति और लय, नाल की स्थिति और आपके बच्चे के आसपास एमनियोटिक द्रव की मात्रा की जांच करने के लिए किया जाता है।

  • ग्लूकोज स्क्रीनिंग और ये स्क्रीनिंग आमतौर पर 22 से 24 सप्ताह में किया जाता है, वहीं यह गर्भकालीन मधुमेह के लिए एक स्क्रीनिंग परीक्षण है।

यदि आप आईवीएफ उपचार के जरिये माँ बनी है तो इसके लिए जितने भी टेस्ट को करवाने की जरूरत पड़ती है उसके लिए आप पंजाब में आईवीएफ सेंटर का चयन कर सकती है।

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में महिलाओं को क्या खाना चाहिए ?

  • प्रत्येक दिन के लिए अलगअलग सब्जियां चुनें। ध्यान रखें कि आपकी प्लेट हमेशा रंग बिरंगे आहार से भरी रहे। दूसरी तिमाही के दौरान फलों को अपने आहार में जरूर शामिल करें।

  • अपने भोजन में ब्रेड, चावल, आलू, पास्ता, और अनाज जैसे कार्बोहाइड्रेट से भरपूर स्टार्चयुक्त साबुत अनाज जरूर शामिल करें।

  • कम वसा वाले डेयरी पदार्थ लें जिससे आपको पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता रहे।

  • मांस, मछली, दाल और अंडे जैसे प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं।

  • सप्ताह में एक बार तैलीय मछली अवश्य खाएं जिससे आपके शरीर में ओमेगा 3 की पूर्ति होगी, यह आपके बच्चे के मस्तिष्क के विकास में सहायक होगा।

  • चिप्स और कुकीज जैसे स्नैक्स के बजाय स्वास्थ्यवर्धक स्नैक्स जैसे टोस्ट, फल, सैंडविच आदि खाने का प्रयास करें।

सुझाव :

अगर आपको अपनी गर्भावस्था के दौरान शरीर में किसी भी तरह की परेशानी नज़र आए तो इसके लिए आप सोफत इनफर्टिलिटी एन्ड वीमन केयर सेंटर के अनुभवी डॉक्टरों का चयन कर सकते है।