बांझपन के पचास फीसदी केसों में पुरुषों में सामने आती है कमी: डॉ सुमिता सोफत

बांझपन के पचास फीसदी केसों में पुरुषों में सामने आती है कमी डॉ सुमिता सोफत 2

डॉ सुमिता सोफत ने बटाला में फोगसी के सेमिनार में दिया लेक्चर

फोगसी (Federation of Obstetric and Gynaecological Societies of India) की और से बटाला में सेमिनार का आयोजन किया गया । इसमें रोज गार्डन के नजदीक स्थित डॉ सुमिता सोफत हॉस्पिटल की इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ सुमिता सोफत को बतौर वक्ता आमंत्रित किया गया। इस दौरान डॉ सुमिता सोफत ने बताया की किस तरह IVF तथा ICSI की सफलता दर बढ़ाई जा सकती है ।

बांझपन के पचास फीसदी केसों में पुरुषों में सामने आती है कमी डॉ सुमिता सोफत 2

उन्होंने कहा सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि बाँझपन के 50 फीसदी केसो में पुरुष ही वजह होते हैं लेकिन शुरुआती दौर में पुरुष यह मानने को तैयार ही नहीं होते और अमूमन ट्रीटमेंट के लिए पत्नी को आगे कर देते हैं । जब पत्नी का मेडिकल जाँच के दौरान पता लगता है की उसमे कोई नुक्स नहीं है तो पति जाँच के लिए राजी हो जाता है । तब कई मामलो में यह पता चलता है की पति में शुक्राणुओं की मात्रा बहुत कम या निल है।

उन्होंने बताया की पुरुषों में शुक्राणुओं की मात्रा 30 मिलियन होनी चाहिए लेकिन बाँझपन से जूझ रहे 10 में से 5 जोड़ों की जाँच करने में पाया जाता है की पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या काम है । कई बार स्पर्म काउंट पुरे होते हैं लेकिन उनमे लाइव स्पर्म पर्याप्त नहीं होते हैं या कई बार लाइव स्पर्म में महिला के अंडे को भ्रूण बनाने की क्षमता नहीं होती । उन्होंने कहा की मेडिकल साइंस से नयी तकनीकों की बदौलत अब बाँझपन के इलाज के नतीजे काफी बेहतर हो गए हैं , इसलिए जो जोड़े मायूस होकर घर बैठ गए हैं, उन्हें भी इलाज के लिए आगे आकर नयी तकनीकों का फायदा उठाना चाहिए ।