क्या आईवीएफ ट्रीटमेंट से जुड़वाँ बच्चे पैदा होने की संभावना होती है ?

जाने क्या हो सकते है आईवीएफ से जुड़वाँ बच्चे पैदा ?

क्या आप भी आईवीएफ के माध्यम से गर्भधारण को कंसीव करने के बारे में सोच रहे है, अगर ऐसा है तो आपके मन में भी यह सवाल आया ही हो गए की क्या आईवीएफ ट्रीटमेंट से जुड़वाँ बच्चे पैदा हो सकते है ? इस पर चर्चा करने से पहले आइये जान लेते है की आईवीएफ ट्रीटमेंट क्या होती है :- 

आईवीएफ ट्रीटमेंट क्या है ? 

डॉ सुमिता सोफत हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुमिता सोफत ने बताया की आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है, जिसमे कई तरह के प्रक्रियाएं शामिल है | यह ट्रीटमेंट की सलाह  डॉक्टर द्वारा उन दम्पत्तियों को दी जाती है, जो कई कारणों से प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने में असमर्थ हो जाते है | आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान सबसे पहले अंडाशय में से अंडे को निकालकर उस अंडे को शुक्राणु के उपयोग से निषेचित किया जाता है, जिससे भ्रूण तैयार होता है | फिर तैयार किये गए इस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है, जिस के कुछ ही दिनों बाद महिला गर्भवती हो जाती है | भ्रूण तैयार करने की पूरी प्रक्रिया को प्रयोगशाला में किया जाता है | 

क्या आईवीएफ से जुड़वे बच्चे पैदा हो सकते है ? 

डॉक्टर सुमिता सोफत ने यह भी बताया की आईवीएफ करवाने आये कई दम्पत्तियों के मन में यह सवाल आता है की “क्या आईवीएफ से जुड़वे बच्चे पैदा होने की संभावना होती है ?”  यह बात बिलकुल सच है की आईवीएफ ट्रीटमेंट से जुड़वाँ बच्चे होने की संभावना होती है और हाल ही आये एक शोध से यह बात भी सामने आई है की आईवीएफ ट्रीटमेंट से कम से कम 40 प्रतिशत तक जुड़वाँ बच्चे पैदा होने की संभावना होती है | लेकिन यह जुड़वाँ बच्चे अपने आप ही नहीं होते है | दरअसल क्या होता है की जब विशेषज्ञ गर्भवती की संभावना को बढ़ाने के लिए एक महिला के गर्भाशय में एक से अधिक निषेचित किये गए अंडे को स्थानित करता है, तो इस प्रक्रिया से कभी-कभार एक से अधिक अंडे मिलकर शिशु में तब्दील हो जाते है | जिससे जुड़वाँ बच्चे हो जाते है | 

जुड़वाँ बच्चे कितने प्रकार के होते है ? 

डॉक्टर सुमिता सोफत ने बताया की जुड़वाँ बच्चे दो प्रकार के होते है, पहला है मोनोजायगोटिक ट्विन्स जिससे एक जैसा जुड़वाँ भी कहा जाता है और दूसरा है डिज़िगोटिक ट्विन्स जिसे भ्रातृ जुड़वाँ कहा जाता है | 

मोनोजायगोटिक ट्विन्स तब उत्पादन होते है जब एक ही अंडे को एक ही शुक्रणु के उपयोग से निषेचित किया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान निषेचित किया गया अंडा दो में विभाजित हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप जुड़वे बच्चे पैदा हो जाते है | डिज़िगोटिक ट्विन्स तब उत्पन्न होते है, जब अलग-अलग अंडो को अलग-अलग शुक्राणु के उपयोग से निषेचित किया जाता है, जिसकी वजह से भी जुड़वे बच्चे पैदा हो जाते है, लेकिन यह बच्चे अनुवांशिक रूप से एक समान नहीं होते है |  

इससे संबंधित किसी प्रकार की जानकारी के लिए आप डॉ सुमिता सोफत हॉस्पिटल से संपर्क कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सुमिता सोफत आईवीएफ ट्रीटमेंट और इनफर्टिलिटी में स्पेशलिस्ट है और साथ ही इस डॉक्टर को 28 से भी अधिक वर्षों का तज़र्बा है, जो आपको इस विषय की सम्पूर्ण जानकारी दे सकते है |

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