क्या आप इस बात को जानते हैं, कि आपके शरीर में बहने वाले हार्मोन कई तरह की महत्वपूर्ण शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रभावित या नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जिसमें महिला के गर्भवती होने की क्षमता भी शामिल होती है। क्योकि आप इन महत्वपूर्ण मिश्रणों के स्तर को देख या फिर सचेत रूप से समायोजित नहीं कर सकते हैं।
शरीर में हार्मोन असंतुलन तब होता है जब एक मानव शरीर जैविक गतिविधियों को नियमित करने के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन को बहुत ज़्यादा या फिर बहुत कम मात्रा में पैदा करता है। महिलाओं में कुशल प्रजनन चक्रों के लिए हार्मोन का सही संतुलन होना बहुत जरूरी होता है, जैसे कि ओव्यूलेशन प्रक्रिया और संपूर्ण गर्भाधान प्रणाली।
क्या आप भी गर्भधारण करने की परेशानी से जूझ रहे हैं। क्या आपको लगता है की ये समस्या आपको हार्मोनल असंतुलन की वजह से हो सकती है ? इससे पहले आपको यह समझना होगा कि शरीर के हार्मोन आपकी प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करते हैं। इसको समझना इन चुनौतियों के ऊपर काबू पाने का एक पहला कदम है। हालांकि हार्मोन प्रजनन के हर हिस्से को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। हार्मोन ही मासिक चक्र से लेकर आपके गर्भावस्था तक प्रभावी होते हैं। हार्मोन का असंतुलन इस नाजुक प्रणाली को बिगाड़ सकता है, और एक महिला के गर्भवती होना को कठिन बना सकता है। यहां हम जानेंगे कि हार्मोन असंतुलन प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करते हैं। और महिलाएं हार्मोनल असंतुलन के साथ गर्भवती कैसे हो सकती हैं।
हार्मोनल असंतुलन क्या है?
शरीर में हार्मोनल असंतुलन तब होता है जब आपके रक्त प्रवाह में एक या इसे ज्यादा हार्मोन की मात्रा गलत होती है। हालांकि हार्मोन शरीर के रासायनिक संदेशवाहक के रूप में काम करते हैं। इसलिए छोटी से छोटी बाधा भी आपके शरीर के सभी कार्यों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं, ख़ास करके जब संतान उत्पन्न करने की बात आती है। आम तौर पर महिलाओं में हार्मोन असंतुलन कई वज़ह से हो सकता है। आपकी जीवनशैली का जहरीले पदार्थों के संपर्क में आना, जेनेटिक्स और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी डाक्टरी स्थितियां इसमें योगदान दे सकती हैं।
हार्मोनल असंतुलन प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है?
हार्मोनल असंतुलन कई तरह से महत्वपूर्ण प्रजनन कार्यों को बाधित करते हैं जैसे कि,
1. ओव्यूलेशन संबंधी बाधा :
हार्मोनल असंतुलन से ओव्यूलेशन अनियमित हो जाता है या फिर पूरी तरीके से बंद हो जाती है।
महिअलों में पीसीओएस जैसी स्थितियाँ एण्ड्रोजन को बढ़ाती हैं, जिससे की अंडे का निकलना पुरे तरीके से बंद हो जाता है।
इससे महिलाओं के अंडों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
2. मासिक धर्म चक्र की अनियमितता:
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन की वजह से मासिक धर्म बहुत जल्दी-जल्दी या बहुत कम आता है। हॉरमोन का उतार-चढ़ाव चक्र को छोटा या फिर बढ़ा कर देता हैं, जिससे की प्रजनन क्षमतायें प्रभावित होती है।
मासिक धर्म रुक जाता है। हार्मोन का गंभीर असंतुलन एमेनोरिया हो जाता है (मासिक धर्म का न होना) जिसकी वजह से महिला को प्राकृतिक गर्भाधान में बाधा आती है।
हार्मोनल असंतुलन के लक्षण
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के लक्षण :
- महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता या फिर गैरहाजरी का होना।
- मासिक धर्म के न होने पर भी दाग होना।
- भारी या फिर अप्रिय मासिक धर्म का होना।
- चेहरे, छाती और पीठ के बालों का बहुत ज्यादा बढ़ना।
- असामान्य वजन बढ़ना।
- दस्त और कब्ज का होना।
पुरुषों में हार्मोनल असंतुलन के लक्षण :
- स्तंभन दोष होना।
- शुक्राणुओं की संख्या में कमी होना।
- शरीर पर बालों की अधिकता में कमी होना।
- छाती में बेआरामी और टिशुओं का अति विकास होना।
- अधिक बालों का झड़ना, जिससे बाल पतले हो जाते हैं।
गर्भावस्था के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन
महिला की गर्भावस्था के लिए एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन महत्वपूर्ण बहुत ज़्यादा मत्वपूर्ण होते हैं। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन महिलाओं के मासिक चक्र को नियंत्रित और गर्भाशय को गर्भावस्था के लिए तैयार करता है। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन महिलाओं के गर्भावस्था दौरान शुरुआती चरणों का समर्थन करता है। और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की थोड़ी मात्रा ही महिलाओं की डिम्बग्रंथि के कार्य के लिए महत्वपूर्ण होती है।
हार्मोनल असंतुलन का क्या कारण है?
थायरॉयड नपुंसकता और और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम ये महिलाओं की प्रजनन हार्मोनल असंतुलन के दो सबसे आम कारण हैं।
हार्मोन और गर्भावस्था
जो महिलाओं के मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित और प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका
को निभाते हैं उनको विशेष रूप से हार्मोन कहा जाता है।
महिला के गर्भधारण के लिए हार्मोन को शरीर में अंडकोष के अंदर अंडे के निर्माण, फैलोपियन ट्यूब में बने नए अंडे के निकलने और गर्भधारण करने के लिए गर्भाशय की परत के मोटे होने का संकेत और उसे नियंत्रित करना चाहिए। अगर शुक्राणु द्वारा ताजा निकले अंडे को उपजाऊ बनाया जाता है, तो परिणामस्वरूप भ्रूण इम्प्लांटेशन के लिए गर्भाशय में चला जाएगा।
हार्मोन का निदान
हार्मोन का निदान इस बात पर निर्भर करता है कि आपका डॉक्टर किस समस्या को आपकी स्थिति का कारण मानता है। आपका डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं।
खून का टेस्ट
एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और थायरॉयड जैसे हार्मोन का खून के टेस्ट द्वारा पता लगाया जा सकता है।
इमेजिंग
आपका डॉक्टर सिस्ट या ट्यूमर का पता लगाने के लिए, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे या चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग जैसी इमेजिंग टेस्टों का इस्तेमाल कर सकता है। जो की बहुत ज्यादा मात्रा में शरीर से हार्मोन स्रावित होने का कारण बन सकता है।
मूत्र परीक्षण:
डॉक्टरों के द्वारा महिलाओं के मासिक धर्म चक्र से जुड़े हार्मोन के स्तर को मापने के लिए मूत्र परीक्षण का उपयोग किया जाता है, जैसे कूप-उत्तेजक हार्मोन टेस्ट।
गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल असंतुलन के लिए उपचार
आम तौर पर हार्मोनल असंतुलन हमेशा इलाज योग्य होते हैं। और महिला के हार्मोन असंतुलन पर ध्यान देना चाहिए चाहे वह रोगी गर्भवती हो या नहीं। दवा का उपयोग हार्मोनल असंतुलन के इलाज के लिए जैसे थायरॉयड फ़ंक्शन को अच्छे तरिके से बहाल करना, महिलाओं के हार्मोन स्तर को विनियमित करना, ओव्यूलेशन को उत्शहित करना या फिर पुरे तरिके से परिपक्व अंडे को छोड़ने के लिए किया जा सकता है।
वजन कम करना और बढ़िया आहार अपनाना जैसे जीवनशैली में बदलाव भी हार्मोन के स्तर को स्थिर करने में और IVF में गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष : हालांकि महिला का हार्मोनल असंतुलन के साथ गर्भवती होना एक अनूठी चुनौती को दिखाता है। पर महिला का अपनी जीवनशैली में बदलाव, चिकित्सा उपचार और सहायक प्रजनन की सही रणनीतियों और सहायता के साथ IVF में गर्भधारण और स्वस्थ गर्भावस्था को प्राप्त कर सकती है, ऐसा उनके लिए संभव है। हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याओं से गुजरने वाली महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के मार्गदर्शन करने के लिए कहा जाता है। ये एक अच्छा विकल्प होता है। आगे आप भी IVF प्रक्रिया में शामिल होना चाहते हैं और इसके बारे में पूरी जानकारी लेना चाहते हैं, तो आज ही सुमिता सोफत अस्पताल जाके इसके बारे में जानकारी इसके विशेषज्ञों से प्राप्त क्र सकते हैं।