व्यक्ति के किसी भी कारज में गड़बड़ी होने पर कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं क्योंकि व्यक्ति का शरीर एक जटिल मशीन की तरह बना हुआ है। इस समय व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं ने घेरा हुआ है। और जो लोग डायबिटीज से प्रभावित होते हैं उनको सबसे पहले उनको यह सलाह दी जाती है, कि वह पहले अपनी डायबिटीज को नियंत्रण में रखें। और तो और इस समस्या से जुड़ी जटिलताओं के बारे में भी अच्छे तरीके से जानकारी रखें। लेकिन कई लोग इसको नज़रअंदाज कर देते हैं और इस समस्या पर ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए ऐसे कई लोग होते हैं जिनको यह पता ही नहीं होता कि ये समस्या प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी के ऊपर अपना बुरा प्रभाव डाल सकती है।
मधुमेह और इसके प्रकार
मधुमेह को एक लंबे समय का चयापचय विकार माना जाता है, जोकि रक्त शर्करा के बढ़े हुए स्तर के साथ जुड़ा हुआ है। ये दो प्रकार का होता है :
- टाइप 1 मधुमेह:
- स्वप्रतिरक्षी स्थिति का होना।
- शरीर इंसुलिन को पैदा नहीं करता।
- इसका निदान बचपन या किशोरावस्था में किया जाता है।
- टाइप 2 मधुमेह:
- शरीर का इंसुलिन प्रति प्रतिरोधी होना ।
- मधुमेह का सबसे आम रूप होना।
- ये अक्सर बालिग में विकसित होता है।
मधुमेह और प्रजनन क्षमता के बीच में संबंध :
मधुमेह को एक तरह की डॉक्टरी स्थिति कहा जाता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को बहुत ज़्यादा प्रभावित करती है। मधुमेह अपना प्रभाव न केवल आपके दैनिक जीवन पर डालता है बल्कि ये आपके प्रजनन स्वास्थ्य पर भी प्रभावित करता है। पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही हार्मोनल असंतुलन और शारीरिक जटिलताओं का कारण मधुमेह बन सकता है। जिससे की महिला और पुरुष दोनों को गर्भावस्था के रस्ते में कठिनाइयां पैदा होती हैं।
मधुमेह और प्रजनन स्वास्थ्य के बीच संबंध
- ये समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य पर अहम रूप से प्रभाव डालती हैं। हाई ब्लड शुगर रोग का स्तर:
- हार्मोन के उत्पादन और विनियमन पर अपना प्रभाव डालते हैं।
- मधुमेह प्रजनन अंगों की रक्त वाहिकाओं और नसों को नुकसान पहुंचाता है।
- यह संक्रमण के खतरे को बढ़ा देता है।
- जो शुक्राणु और अंडे की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, मधुमेह उस ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा करता है।
मधुमेह पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है?
महिला प्रजनन क्षमता पर प्रभाव:
जो महिलाएं टाइप 1 या टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित होती हैं उन महिलाओं को प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जानते हैं की आखिर मधुमेह महिला की प्रजनन यात्रा को कैसे प्रभावित करता है।
मधुमेह का महिला के हार्मोनल संतुलन पर प्रभाव
- ब्लड शुगर का अनियमित स्तर महिला के हार्मोनल संतुलन को बाधित कर देता है।
- ये आम तोर पर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन उत्पादन में बाधा डालते हैं, जो एक महिला के गर्भावस्था के दौरान महत्वपूर्ण होते हैं।
- इससे महिलाओं में मासिक धर्म चक्र अनियमित या फिर उसकी गैरहाजरी हो सकती है।
अण्डोत्सर्ग और गर्भधारण की भविष्यवाणी में कठिनाई
जो महिलाएं टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित होती है उनको पीसीओएस की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है।
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन इंसुलिन प्रतिरोध के कारण गंभीर हो जाता है।
जो अण्डोत्सर्ग को रोकता है।
महिलाओं में समय से पहले गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है, जब ब्लड शुगर बेकाबू हो जाता है।
जो भी महिलाएं मधुमेह रोगी होती हैं, उनको गर्भधारण करने में काफी समय लगता है।
गर्भावस्था पर प्रभाव:
गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं पैदा हो जाती हैं।
इसके कारण समय से पहले गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है।
इससे कारण महिला के गर्भधारण में देरी होती है।
गर्भावधि मधुमेह: जिन महिलाओं को पहले से मधुमेह नहीं होता, गर्भावस्था के दौरान यह रोग उनमें विकसित होने का डर बना रहता है।
इससे पीड़ित महिअलों को गुर्दे और यकृत जैसे अंगों को मुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ सकता है।
इससे कारण महिलाओं को गंभीर रोग विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
मधुमेह और पुरुष प्रजनन क्षमता
प्रजनन क्षमता पर प्रभाव:
स्तंभन दोष :
मधुमेह खून की नाड़ीयों और नसों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसकी वजह से पुरुष साथी स्तंभन बना के रखने में असमर्थ हो जाता है, जिसके कारण संभोग और प्राकृतिक गर्भाधारण करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
मधुमेह के कारण शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी:
मधुमेह के कारण शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी आ जाती है। मधुमेह शुक्राणु की गुणवत्ता अलग -अलग पहलुओं पर नकारात्मक प्रभाव को डाल सकता है, जिसमें शामिल हैं:
- मधुमेह के कारण पुरुषों में शुक्राणुओं की सांद्रता में कमी हो सकती है।
- मधुमेह से पीड़ित पुरषों में शुक्राणुओं की प्रभावी रूप से गति करने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पढ़ सकता है।
- पुरुषों में शुक्राणु की शक्ल और बनतर असामान्य हो सकती है।
हार्मोनल असंतुलन :
मधुमेह कभी कभार टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के उत्पादन पर प्रभाव डाल सकता है, जो कि शुक्राणु उत्पादन और पुरुष यौन क्रिया के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन होते हैं।
प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव
. संतुलित आहार को लें।
. नियमित कसरत को करें।
. तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें।
. सेहतमंद वजन को बनाए रखें।
. धूम्रपान को छोड़ें और शराब के सेवन को सीमित करें।
दवाएं और उपचार
मधुमेह का सही प्रबंधन में ब्लड शुगर के स्तर को रोकने और प्रजनन क्षमता में सुधार करने के लिए कुछ दवाएं शामिल होती हैं जैसे,
मेटफोर्मिन:
यह शरीर को इंसुलिन के प्रति संवेदनशील बनाने में मदद करती है, जिसके कारण मासिक धर्म चक्र और ओव्यूलेशन में सुधार होता है।
इंसुलिन थेरेपी:
जब शरीर ज़्यादा इंसुलिन का उत्पादन करने में असमर्थ होता है जब इंसुलिन थेरेपी टाइप 1 मधुमेह और टाइप 2 मधुमेह के कुछ मामलों के लिए आवश्यक होती है।
प्रजनन दवाएं:
प्रजनन दवाएं व्यक्ति की डॉक्टरी स्थिति के आधार पर प्रजनन विशेषज्ञ द्वारा दी जाती हैं।
रोजाना जांच और अपने स्वास्थ्य सेवा टीम के साथ खुल के बात करना किसी भी चिंता को दूर करने और जरूरत के अनुसार उपचार योजनाओं को अनुकूलित करने में मदद कर सकता है। मधुमेह के सही इलाज और समग्र सेहत पर ध्यान देने से कई ऐसे व्यक्ति हैं जो अपनी प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकते हैं, और अपनी गर्भावस्था की संभावना बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष: मधुमेह पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। जिसके कारण पुरुषों और महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन और गर्भधारण करने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है। पुरुष और महिलाएं दवाओं, मधुमेह के उचित उपचार और समग्र स्वास्थ्य के माध्यम से अपनी प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकते हैं और गर्भधारण की संभावना बढ़ा सकते हैं। अगर आप भी इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं और गर्भधारण करना चाहते हैं तो आप आज ही सुमिता सोफत अस्पताल में जाकर अपना अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।