हिस्टेरेक्टॉमी क्या है और इसको करने से पहले किन बातों का रखें खास ध्यान ?

हिस्टेरेक्टॉमी कैसे संबंधित है गर्भावस्था से

हिस्टेरेक्टॉमी कैसे गर्भावस्था से जुडी हुई एक प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया के दौरान एक हिस्टेरेक्टॉमी ऑपरेशन या सर्जरी की जाती है जिसमें गर्भाशय को शरीर से निकाल दिया जाता है। तो आइये जानते है क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया ;

क्या है हिस्टेरेक्टॉमी ?

  • एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी एक प्रक्रिया है, जिसमें पेट में चीरा लगाकर गर्भाशय को निकाला जाता है। किसी महिला के गर्भाशय को हटा देने के बाद उसकी माहवारी नहीं आती है और वो गर्भधारण भी नहीं कर सकती है।
  • आज के समय में महिला के गर्भाशय व अन्य अंगों को हटाने के लिए हिस्टरेक्टॉमी ऑपरेशन प्रक्रिया का उपयोग अधिक किया जाता है। महिला का यूट्रस एक नाशपाती की बनावट जैसा होता है। 
  • इसके अलावा गर्भाशय की दो परते होती है एक एंडोमेट्रियम व दूसरी मायोमेट्रियम। हिस्टरेक्टॉमी में पूरा गर्भाशय, कुछ मामलों में अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या फिर गर्भाशय सरविक्स को हटाने जैसी प्रक्रिया को शामिल किया जा सकता है। 

हिस्टेरेक्टॉमी के प्रकार क्या है ?

  • आंशिक (सबटोटल) हिस्टेरेक्टॉमी, में गर्भाशय को तो हटा दिया जाता है, लेकिन सरविक्स को रहने दिया जाता है। सामान्यतया डॉक्टर द्वारा गर्भाशय ग्रीवा हटाने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि इसमें कैंसर होने का डर रहता है। इसके बावजूद कई महिलाएं चाहती है कि उनका सरविक्स रहने दिया जाए, तो सरविक्स अगर रहेगा तो उनको इसकी समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए।
  • टोटल हिस्टरेक्टॉमी, में पूरे गर्भाशय और सरविक्स यानि गर्भाशय ग्रीवा को हटा दिया जाता है।
  • रेडिकल हिस्टेरेक्टॉमी, आमतौर पर अंडाशय, सरविक्स, गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब के कैंसर के केसेज में उपयोग की जाती है।

हिस्टेरेक्टॉमी का चयन कब करें ?

  • एडिनोमायोसिस होने पर। 
  • माहवारी में अहसनीय दर्द जो अन्य उपचारों से ठीक न हो।
  • गैर कैंसरयुक्त यूट्रस फाइब्रॉएड। 
  • गर्भाशय की दीवार से जुड़ा गैर-कैंसरयुक्त असामान्य विकास। 
  • लम्बे समय तक पैल्विक दर्द की स्थिति में जब अन्य उपचार उचित प्रतित न हो। 
  • गर्भाशय का कैंसर या सर्वाइकल कैंसर की स्थिति में होना। 
  • जब गर्भाशय का असामान्य विकास हो तब इस सर्जरी का चयन किया जाता है।

हिस्टेरेक्टॉमी का चयन करने से पहले एक बार महिलाओं की विशेषज्ञ डॉक्टर का चयन जरूर से करें।

हिस्टेरेक्टॉमी को किन तरीको से किया जाता है ?

  • पेट की हिस्टेरेक्टॉमी में, आपके पेट के निचले हिस्से में एक चीरा लगाकर गर्भाशय को हटा दिया जाता है। आपके पेट में खुलने से सर्जन को आपके पेल्विक अंगों का स्पष्ट दृश्य मिलता है।
  • वहीं लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए आपके पेट में केवल कुछ छोटे चीरे लगाने की आवश्यकता होती है। इनमें से एक चीरे के माध्यम से डाला गया एक लैप्रोस्कोप सर्जन को पेल्विक अंगों को देखने की अनुमति देता है। अन्य छोटे चीरों के माध्यम से सर्जरी करने के लिए अन्य सर्जिकल उपकरणों का उपयोग किया जाता है। आपके गर्भाशय को चीरों के माध्यम से, आपके पेट में किए गए बड़े चीरे के माध्यम से, या आपकी योनि के माध्यम से छोटे टुकड़ों में निकाला जा सकता है, जिसे लैप्रोस्कोपिक योनि हिस्टेरेक्टॉमी कहा जाता है।

हिस्टेरेक्टॉमी के क्या है जोखिम और लाभ ?

  • गर्भाशय का बहुत बड़ा होने पर पेट की हिस्टेरेक्टॉमी की जा सकती है। लेकिन पेट की हिस्टेरेक्टॉमी योनि या लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी की तुलना में जटिलताओं के अधिक जोखिम से जुड़ी होती है, जैसे कि घाव में संक्रमण, रक्तस्राव, रक्त के थक्के और तंत्रिका और ऊतक क्षति। 
  • इसमें आमतौर पर योनि या लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी की तुलना में लंबे समय तक अस्पताल में रहने और लंबे समय तक ठीक होने की आवश्यकता होती है।

सुझाव :

यदि आप एक सामान्य आयु सीमा के बाद गर्भवती नहीं होना चाहती या आप एक निश्चित आयु के बाद पीरियड्स की समस्या से निजात पाना चाहती है, तो इसके लिए आपको हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी का चयन करना चाहिए।

हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी के लिए बेस्ट हॉस्पिटल या सेंटर :

यदि आप हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी का चयन करना चाहती है तो इसके लिए आपको सोफत इनफर्टिलिटी एन्ड वीमन केयर सेंटर का चयन करना चाहिए।