आजकल लोगों की व्यस्त जीवनशैली, ख़राब खानपान की वजह से पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम यानी पीसीओएस और फैटी लिवर महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या बन गई है। पीसीओएस ओवरी सिंड्रोम महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है। पीसीओएस की समस्या ओव्यूलेशन और प्रजनन क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित करती है। अकसर पीसीओएस की समस्या से पीड़ित महिलाओं में फैटी लिवर की समस्या पाई जाती है। नेशनल लाइब्रेरी और मेडिसिन के अनुसार नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की समस्या पीसीओडी वाली महिलाओं में अक्सर होती है। पीसीओएस में होने वाले लिवर रोग का मुख्य कारण मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध को माना जाता है। आम तोर पर नॉन एल्कोहॉलिक लिवर रोग के विकास का कारक बहुत ज़्यादा एंड्रोजन हो सकता है। पीसीओएस और फैटी लिवर की समस्या दोनों ही बांझपन का कारण होते हैं। इस लेख के माध्यम से हम इसके बारे में जानेंगे।
पीसीओएस क्या है?
पीसीओएस एक जटिल हार्मोनल स्थिति है, जिसको अक्सर पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओडी के रूप में जाना जाता है। यह एक तरह की जटिल समस्या है, इस से पीड़ित महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म चक्र, मुंहासे, बालों का पतला होना, अचानक वजन बढ़ना, बहुत ज्यादा बाल उगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। और यह प्रजनन क्षमता, हार्मोन के स्तर, इंसुलिन उत्पादन, दिल की सेहत और उपस्थिति को प्रभावित करता है। आम तौर पर पीसीओएस की समस्या महिलाओं को उनके प्रजनन काल में प्रभावित करती है, जिसकी विशेषता है,
- ओवुलेशन की समस्याएं
- अनियमित या गैरहाजर मासिक धर्म चक्र
- अल्ट्रासाउंड में देखे गए पीसीओएस अंडाशय
- बहुत ज्यादा एण्ड्रोजन स्तर (पुरुष हार्मोन) का होना।
पीसीओएस और बांझपन के बीच संबंध
आम तौर पर महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से पीसीओएस पहले नंबर पर है। हार्मोनल असंतुलन के कारण पीसीओएस और बांझपन के बीच संबंध मुख्य रूप से प्रेरित होता है। जो महिला की ओवुलेशन प्रक्रिया को बाधित करता है। यह बांझपन का एक प्रमुख कारण होता है
अनियमित ओव्यूलेशन : इस दौरान गर्भधारण की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं, क्योंकि आमतौर पर पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं कुछ महीनों के लिए ओवुलेशन अवधि को छोड़ देती हैं।
हार्मोनल असंतुलन : अण्डों के निकलने की प्रक्रिया और अण्डों की परिपक्वता बाधित होती है, क्योंकि ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का उच्च स्तर होने के कारण अंडाशय का सामान्य कार्य बिगड़ जाता है।
इंसुलिन प्रतिरोध : एण्ड्रोजन के स्तर का बढ़ना ये पीसीओएस का एक सामान्य लक्षण होता है, इंसुलिन का उच्च स्तर जिसके पीछे जिम्मेदार होता है। ओवुलेशन समस्याओं में जो योगदान देता है।
अंडे की खराब गुणवत्ता : क्रोनिक एनोव्यूलेशन से अण्डे की गुणवत्ता बहतु ज्यादा प्रभावित होती है जो एक महिला की गर्भावस्था की स्थिति को और भी ज्यादा प्रभावित करती है।
उपचार
जीवनशैली में बदलाव : हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए उचित आहार और नियमित व्यायाम करने से वजन घटाने पर इंसुलिन संवेदनशीलता में काफी सुधार हो सकता है और ओव्यूलेशन को दोबारा से जीवित किया जा सकता है।
आईयूआई और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन : जब कोई और उपचार काम नहीं करता है तो, सहायक प्रजनन तकनीकों की सलाह दी जाती है। बांझपन के मामलों के लिए और पीसीओएस से संबंधित समस्याओं के लिए IVF विकल्प उपलब्ध है।
फैटी लिवर क्या है?
डॉक्टरों का भी मानना है कि लोगों के लिवर में बहुत ज्यादा फैट जमा होने के कारण फैटी लिवर की समस्या होती है। आम तोर पर फैटी लिवर दो प्रकार का होता है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर और अल्कोहोलिक फैटी लिवर।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज: इस प्रकार की फैटी लिवर की समस्या उन लोगों में पाई जाती है, जो लोग शराब का सेवन नहीं करते हैं या फिर बहुत ही कम मात्रा में करते हैं।
अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज: ये अल्कोहोलिक फैटी लिवर की समस्या उन लोगों में पाई जाती है जो लोग बहुत ज्यादा शराब का सेवन करते हैं।
फैटी लिवर और बांझपन के बीच संबंध
सभी लोगों को इस बात को समझना होगा कि हमारे शरीर के सभी अंग एक-दूसरे से कनेक्ट हैं, हालांकि स्त्री रोग विशेषज्ञ का भी यही कहना है। अगर शरीर का एक अंग खराब होता है, तो वह पूरे शरीर के काम करने की प्रक्रिया को प्रभावित करेगा। इस तरीके से एक फैटी लिवर सिर्फ एक लिवर की कार्यप्रणाली को ही नहीं, बल्कि हार्मोनल बैलेंस, ओव्यूलेशन और स्पर्म क्वालिटी, और महिला बांझपन को भी प्रभावित करता है।
हार्मोनल असंतुलन : इंसुलिन रेजिस्टेंस शरीर में फैटी लिवर की वजह से बढ़ जाता है। और जिसकी वजह से टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। यह महिलाओं में पीसीओएस जैसी समस्याओं का कारण भी बनता है। अगर इस समस्या का इलाज सही समय पर ना किया जाये तो यह एक तरीके से बांझपन का कारण बन सकता है।
ओव्युलेशन की समस्या : फैटी लिवर की समस्या से पीड़ित महिलाओं में ओव्युलेशन अनियमित हो सकता है, जिसकी वजह से महिलाओं में गर्भावस्था की सम्भावना कम हो जाती है। इस तरीके की समस्या पीरियड्स की अनियमितता और बिना अंडोत्सर्जन के मासिक धर्म (एनोवुलेटरी साइकल) का कारण हो सकती है।
सूजन का कारण : आम तोर पर शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव फैटी लिवर लिवर की वजह से बढ़ सकता है। और महिलाओं में अंडाणु और पुरुषों की शुक्राणु की गुणवत्ता को इस समस्या के कारण नुकसान पहुंचा सकता है।
स्पर्म क्वालिटी खराब होती है : पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है जब फैटी लिवर की समस्या होती है। फैटी लिवर की वजह से पुरुषों में स्पर्म काउंट, मोटिलिटी और गुणवत्ता प्रभावित होती है। और इसकी वजह से पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी का खराब होना इंफर्टिलिटी का कारण भी बन सकता है।
उपचार : इस समस्या के ऊपर डॉक्टर का कहना है कि फैटी लिवर से बचाव के लिए सही जीवन शैली और संतुलित खानपान होना बहुत ज़्यादा जरूरी है।
निष्कर्ष : फैटी लिवर और पीसीओएस दोनों बांझपन का कारण बन सकते हैं पर नियमित कसरत करके, अपनी जीवनशैली में बदलाव करके, आहार में बदलाव और अपने शरीर को हाइड्रेट रखने से इन बीमारियों को ठीक किया जा सकता है अगर किसी और उपचार से बांझपन की समस्या खत्म नहीं हो रही है तो सहायक प्रजनन तकनीकों का सहारा लिया जा सकता है जैसे कि बांझपन के मामलों के लिए और पीसीओएस से संबंधित समस्याओं के लिए IVF विकल्प को चुना जा सकता है। अगर आप भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी लेना चाहते हैं और IVF प्रक्रिया में शामिल होना चाहते हैं तो आप आज ही सुमिता सोफत अस्पताल जाके अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।