क्या स्ट्रेस बन रहा है महिलाओं में पीसीओएस होने का कारण, जाने कैसे करें बचाव ? 

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स्ट्रेस यानी तनाव एक ऐसी समस्या है जो प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है | यह एक व्यक्ति के लिए समस्या तब बनता है, जब काफी लंबे अरसे से स्ट्रेस उनके दिमाग में बना रहता है | यह बात जानते हुए भी कि स्ट्रेस उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, फिर भी लोग फिर भी इससे खुद  को दूर नहीं रख पाते है और उम्र के हर पड़ाव में किसी न किस वजह से खुद को तनाव से गिरा हुआ पाते है | 

ऐसे स्ट्रेस शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का कारण बनते है, आपको बता दें महिलाओं में पीसीओएस यानी पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का संबंध स्ट्रेस से जुड़ा हुआ होता है | द सोफत इनफर्टिलिटी एंड वुमन केयर सेंटर की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुमिता सोफत ने यह बताया है की पीसीओएस से ओवरी का आकर एक नियमित रूप से बढ़ जाता है और इसके किनारों में छोटे-छोटे सिस्ट पनपने लग जाते है | जिसकी वजह से मासिक धर्म की अनियमतता, मुहांसे और मोटापा बढ़ने लग जाता है, जिससे बाद में पीसीओएस से पीड़ित महिला को गर्भधारण करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़  जाता है |   

क्या स्ट्रेस बढ़ाता है पीसीओएस की समस्या ? 

डॉक्टर सुमिता सोफत ने यह बताया कि वैसे तो अभी तक पीसीओएस होने का कोई विशिष्ट कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन एक स्टडी के दौरान यह बात सामने आयी है की स्ट्रेस का सीधा संबंध पीसीओएस के साथ होता है | जब भी हमारा शरीर हमें किसी परिस्थिति से सामना करने के लिए तैयार करता है तो इससे दिमाग में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन स्वाधीनता होने लग जाते है | इसे समस्या तब उत्पन्न होती है, जब काफी लंबे तक हमारा दिमाग में लगातार उसी स्थिति का अनुभव कर रहा होता है, जिससे कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बबढ़ने लग जाता है | जिसकी वजह से शरीर में कुछ ऐसे स्थिति में बदलाव आता है, जो पीसीओएस से जुड़े लक्षणों को गंभीर करने लग जाते है | आइये जानते है अधिक समय से स्ट्रेस में रहने से कौन-सी परेशानी उत्पन्न हो सकती है :-

अधिक स्ट्रेस से हार्मोनल से जुड़ी कौन-सी समस्या हो सकती है उत्पन्न ? 

  • लंबे अरसे से स्ट्रेस में रहने से कॉर्टिसोल डिसफंक्शन की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिससे शरीर में कई तरह से इन्फ्लेमेशन होते है, जो आगे जाकर पीसीओएस से जुड़े लक्षणों की स्थिति को गंभीर करता है |
  • शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ने से इन्सुलिन का स्त्राव नकारात्मक रूप से प्रभावित हो जाता है, जिसे महिलाओं में एंड्रोजेन नामक हार्मोन के स्तर बढ़ने का खतरा रहता है | 
  • अधिक स्ट्रेस लेने से कई बार गर्भधारण के लिए कोशिश कर रही महिलाओं को कई तरह के समस्याओं से गुजरना पड़ जाता है | 

कैसे करें खुद का बचाव ? 

दरअसल लंबे अरसे तक स्ट्रेस में रहने से, एक समय बाद पीसीओएस और स्ट्रेस का आपस में एक साइकिल बन जाता है, पीसीओएस के कारण स्ट्रेस बढ़ने लग जाता है और ज़्यादा स्ट्रेस लेने से पीसीओएस के लक्षण गंभीर होने लग जाते है | अपने स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए इस साइकिल का तोड़ना, पीसीओएस से पीड़ित प्रत्येक महिला के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है | जिसमें सबसे पहले स्ट्रेस में प्रबंधन लगाने के लिए अपने कुछ आदतों में बदलाव लाना बेहद ज़रूरी होता है | अपने जीवनशैली में स्ट्रेस को कम करने के लिए कुछ ऐसे तरीके का चुनाव करे, जिससे आप अपने मन को शांत रखने में मदद मिल सके | इसके अलावा इस बात को जानने की कोशिश करें की कौन-सी परिस्थिति आपको ट्रिगर करती है, उससे दूर रहने का प्रयास करें | संतुलित और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन का सेवन करें, खुद को हाइड्रेट रखने के लिए खूब सारा पानी पिएं | इसे साथ ही योगासन जैसे की प्राणायाम आपके स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकता है | यदि यह सब करने के बाद भी आपकी स्थिति पर किसी भी प्रकार का सुधर नहीं आ रहा है तो इसके इलाज के लिए आप डॉक्टर सुमिता सोफत से परामर्श कर सकते है |    

द सोफत इनफर्टिलिटी एंड वुमन केयर सेंटर की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुमिता सोफत आईवीएफ ट्रीटमेंट में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 30 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही द सोफत इनफर्टिलिटी एंड वुमन केयर सेंटर की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी नियुक्ति की बुकिंग करवाएं | इसके अलावा आप वेबसाइट पर मौजूद नंबरों से सीधा संसथान से संपर्क कर सकते है |       

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