आज के दौर लोग अपने कामो में व्यस्त और ख़राब जीवनशैली होने के कारण, उन्हें कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ जाता है, जिससे वह खुद का अच्छे से ख्याल भी नहीं रख पाते है | खासकर महिलायें, जो घर के काम और बाहर के कामो को तो अच्छे से संभाल लेती है, लेकिन छोटी-छोटी समस्याओं को नज़र अंदाज़ कर देती है | जिसके चलते वही छोटी-छोटी समस्याएं आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी होने का कारण बन जाती है | उन्ही समस्याओं में से एक है पीसीओडी की समस्या |
आज के समय में महिलाओं में पीसीओडी की समस्या होने बेहद आम हो गया है | एक आंकड़े के अनुसार भारत देश में कम से कम 10 प्रतिशत महिलाओं की आबादी पीसीओडी की समस्या से गुजर रही है | आइये जानते है पीसीओडी के बारे में विस्तारपूर्वक से :-
पीसीओडी क्या होता है ?
पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज यानी पीसीओडी महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी एक दीर्घकालिक समस्या है, जिसमें महिलाओं के अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बनने लग जाते है, जो गांठ की तरह दिखाई देते है | यह समस्या महिलाओं में तब उत्पन्न होता है जब उनका हार्मोनल स्तर असंतुलन होने लग जाता है | पीसीओडी की समस्या होने की वजह से महिलाओं को बांझपन और अनियमित मासिक धर्म जैसे समस्याओं से गुजरना पड़ जाता है | पीसीओडी की समस्या सबसे अधिक 14 से 45 साल महिलाओं को प्रभावित कर सकती है | इस स्थिति के दौरान महिलाओं के चेहरे और दूसरे अंगों पर रोएं और बाल निकलने लग जाते है | आइये जानते है किन कारणों से पीसीओडी की समस्या होते है उत्पन्न :-
पीसीओडी होने के मुख्य कारण
हालांकि पीसीओडी होने के विशेष कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन कुछ जोखिम कारक है, जो इस समस्या को बढ़ावा देने का कार्य करते है, जिनमें शामिल है :-
- अनियमित रूप से मासिक धर्म चक्र होना
- असंतुलित जीवन शैली
- अनुवांशिक कारणों से
- अनियमित वजन बढ़ने से
- सूजन होना
- इन्सुलिन रेजिस्टेंस
- एंड्रोजेन के स्तर का बढ़ना आदि |
पीसीओडी होने के मुख्य लक्षण
प्रत्येक महिलाओं में पीसीओडी की समस्या होने के लक्षण विभिन्न हो सकते है, क्योंकि यह लक्षण पूर्ण रूप से उनके शारीरिक स्वास्थ्य के पर निर्भर करता है, उन्ही में से कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार है :-
- चेहरे की त्वचा में मुंहासे
- बांझपन की समस्या
- वजन का बढ़ना
- अनियमित रूप से मासिक धर्म
- अधिक स्तर में रक्तस्राव होना
- चेहरे की त्वचा का काला पड़ना
- चेहरे और शरीर के बाकी अंगों में बालों का तेज़ी से बढ़ना
- नींद का पूरा न होना
- गर्भधारण करने में परेशानी होनी
- सिरदर्द होना आदि शामिल है |
पीसीओडी की समस्या कितने दिन में ठीक हो जाता है ?
पीसीओडी की समस्या को ठीक करना कोई बड़ी बात नहीं है | अपने जीवनशैली में कुछ ज़रूरी बदलाव करके और एक संतुलित जीवनशैली को अपनाकर पीसीओडी की समस्या को आप कम करने की कोशिश कर सकते है | इसके साथ ही रोज़ाना व्यायाम करें और योगासन का अभ्यास करें | हालांकि इस समस्या को दवाओं के माध्यम से भी नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन शारीरिक गतिविधि भी बेहद ज़रूरी होती है |
पीसीओडी की समस्या का कैसे किया जाता है इलाज ?
हालांकि पीसीओडी की समस्या का पूर्ण रूप से इलाज संभव नहीं है, लेकिन इससे जुड़े कुछ लक्षणों को दवाओं और सर्जरी के ज़रिये कम किया जा सकता है | इसके आलावा आप घरेलू उपचार के उपयोग से भी इसके लक्षणों को कम करने की कोशिश कर सकते है, जिनमें शामिल है :-
- एक साथ कई तरह के आहार का सेवन करने के बजाये, इससे छोटे और थोड़े हिस्से में खाएं |
- प्रोटीन का भरपूर मात्रा में सेवन करें |
- नियमित रूप से अपने वजन को कम करें |
- मैदा और सूजी से बने भोजन का सेवन करने से बचाव करें |
- एक स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली को अपनाएं |
- प्रोसेस्ड फ़ूड का सेवन बिलकुल न करें |
- हरी और पत्तेदार वाली सब्ज़ियों का सेवन करें |
- नियमित रूप से और कम से कम 15 मिनट के लिए व्यायाम और योगासन का अभ्यास करें |
- मीठे पदार्थों के सेवन पर परहेज़ करें |
- पूरे दिनभर में कम से कम 30 ग्राम तक के फाइबर युक्त भोजन का सेवन ज़रूर करें, यह ब्लड शुगर को संतुलित रखने में मदद करता है |
पीसीओडी की समस्या एक दीर्घकालिक बीमारी है,जिसका समय पर इलाज करवाना एक पीड़ित महिला के लिए बेहद ज़रूरी होता है | यदि आप में से कोई भी महिला पीसीओडी की समस्या से पीड़ित है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर नीरा गुप्ता से मुलाकात कर सकते है |
डॉ सुमिता सोफत द सोफत हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट और पंजाब के बेहतरीन इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट में से एक है, जो पिछले 15 वर्षों से पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं का सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही द सोफत हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी नियुक्ति को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से संपर्क कर सीधा संस्था से बातचीत कर सकते है |