जो महिलाएं माँ नहीं बन सकती उनके लिए आईवीएफ का ट्रीटमेंट काफी सहायक माना जाता है, वही कुछ महिलाओं के मन में ये सवाल भी होगा की क्या आईवीएफ में भी संतान का जन्म योनि के द्वारा ही होता है या नहीं तो आप भी अगर आईवीएफ के जरिये अपना इलाज करवा रहें है तो इसके लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ;
क्या है आईवीएफ ट्रीटमेंट ?
आईवीएफ का ट्रीटमेंट बांझपन की समस्या का सामना कर रहीं महिलाओं के लिए काफी सहायक माना जाता है।
इसमें महिला के शरीर में होने वाली निषेचन की प्रक्रिया (महिला के अण्डे व पुरूष के शुक्राणु का मिलन) को बाहर लैब में किया जाता है। लैब में बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
वही आईवीएफ ट्रीटमेंट में अण्डों की संख्या को बढ़ाना शामिल है, जब अंडा बढ़ या बन जाता है तो अल्ट्रासाउण्ड इमेजिंग की निगरानी में एक पतली सुई की मदद से अण्डे टेस्ट ट्यूब में एकत्रित किए जाते है, जिन्हें बाद में लैब में रख दिया जाता है।
इन सब को करने के बाद अंडे को फर्टिलाइज किया जाता है, इस फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रूण का विकास होना शुरू हो जाता है।
अगर आप भी बांझपन की समस्या का सामना कर रहीं है तो इससे निजात पाने के लिए पंजाब में आईवीएफ उपचार का चयन करें।
आईवीएफ (IVF) ट्रीटमेंट में महिलाएं बच्चे को योनि से कैसे जन्म देती है ?
आईवीएफ प्रक्रिया में अंडाशय से अंडे लेना और उसे प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ मिलाना शामिल है।
फिर निषेचित अंडे को पतली ट्यूब की मदद से महिला के योनि के माध्यम से उसके गर्भाशय में डाला जाता है। कई महिलाओं को संदेह होता है कि क्या उनकी सामान्य डिलीवरी हो सकती है या आईवीएफ गर्भावस्था के साथ उन्हें सी–सेक्शन सर्जरी की आवश्यकता होगी। हालाँकि, आईवीएफ गर्भावस्था सामान्य गर्भावस्था के समान है और सामान्य रूप से बच्चे को जन्म देना आपके गर्भधारण करने के तरीके से प्रभावित नहीं होगा।
आईवीएफ (IVF) के दौरान गर्भावस्था के कितने भाग है ?
आईवीएफ के दौरान गर्भावस्था को 6 चरणों में विभाजित किया गया है, जैसे ;
डिम्बग्रंथि उत्तेजना (अंडे तथा उत्तेजित द्रव और हार्मोन्स का बनना)
अंडाणु और शुक्राणु को पुनः प्राप्त करना।
शुक्राणु के साथ अंडे का निषेचन करना।
ऊष्मायन जहां भ्रूण की 5 दिनों तक निगरानी की जाती है।
भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्यारोपित करना।
गर्भावस्था के लिए परीक्षण करना आदि।
अगर आप इन चरणों से अपने आईवीएफ के ट्रीटमेंट का चयन करना चाहते है, तो इसके लिए आप पंजाब में आईवीएफ सेंटर का चयन कर सकते है।
क्या आईवीएफ के दौरान सी–सेक्शन डिलीवरी होती है?
जो महिलाएं आईवीएफ से गर्भवती हुईं, वे सी–सेक्शन के बिना भी सामान्य रूप से बच्चे को जन्म दे सकती है। इसका कारण यह है कि, आईवीएफ गर्भावस्था सामान्य गर्भावस्था से अलग नहीं है और दोनों समान हो सकते है।
इसके अलावा डॉक्टर कुछ अन्य कारणों में इस सर्जरी को करवाने की सलाह महिलाओं को देते है, जैसे आईवीएफ के दौरान महिला लंबे समय तक प्रसव पीड़ा में हो, शिशु की असामान्य स्थिति हो, पर्याप्त ऑक्सीजन शिशु को न मिल पा रहा हो, अगर बच्चे में कोई जन्म दोष हो तो भी इस सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
आईवीएफ (IVF) ट्रीटमेंट के लिए बेस्ट हॉस्पिटल व सेंटर ?
अगर आप चाहते है की आपकी डिलीवरी बिना किसी जोखिम के हो तो इसके लिए आप सोफत इनफर्टिलिटी एन्ड वीमन केयर सेंटर का चयन जरूर से करें।