महिलाएं को अक्सर शारीरिक बदलाव के कारण कई तरह के समस्याओं का करना पड़ जाता है | मेनोपॉज़ उन्ही बदलाव में से एक है, इससे न केवल उनके शरीरिक स्वास्थ्य में प्रभाव पड़ता है, बल्कि मानसिक स्थिति में काफी प्रभावित हो जाती है | द डॉक्टर सुमिता सोफत अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुमिता सोफत ने यह बताया की भारत में कुछ महिलाएं होती है, जिन्हे मेनोपॉज़ की समस्या होने से शर्मिंदगी महसूस होती है, इसलिए वह अक्सर इस समस्या को अपने परिवार-परिजन के साथ-साथ अपने पति से भी छुपा कर रकती है | हालाँकि मेनोपॉज़ से जुडी समस्याओं को समझना हर व्यक्ति के लिए बेहद महतवपूर्ण होता है |
मेनोपॉज़ महिलाओं में होने वाले एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो महिलाओं में लगभग 40 से 50 वर्ष की आयु के आसपास उत्पन्न होती है | मेनोपॉज़ उस स्थति को कहा जाता है जब एक साल तक यानी पूरे 12 महीने तक बिना किसी कारण के महिलाओं को पीरियड्स आने बंद हो जाते है | इस दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजेन की कमी हो जाती है, जिस कारण उनमे कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव आ जाते है |
डॉक्टर सुमिता सोफत ने यह भी बताया की अगर आसान भाषा में बात करें तो जैसे-जैसे मेनोपॉज़ से पीड़ित महिला उसकी तरफ बढ़ती है, वैसे-वैसे ओवरीज़ एस्ट्रोजेन को कम जारी करने लग जाता है, जिसकी वजह से महिलाओं में हार्मोन की काफी कमी हो जाती है | महिलाओं में मौजूद हार्मोन रिप्रोडक्शन के साथ-साथ शरीर के अन्य कार्यों में भी अपनी एहम भूमिका को निभाता है | हार्मोन मासिक धर्म चक्र को नियंत्रण करता ही है, इसके साथ ही यह हड्डियों, दिल और तंत्रिका तंत्र को भी काफी प्रभावित करता है | आइये जानते है मेनोपॉज़ के मुख्य लक्षण कौन-से है :-
मेनोपॉज़ के प्रमुख लक्षण कौन-कौन से है ?
- वैजाइना में ड्राईनेस होना, जिस वजह से शारीरिक संबंध के दौरान कठिनाई हो सकती है |
- संभोग करने की इच्छा न होना
- वजन का अनियमित रूप से बढ़ना
- त्वचा में रूखापन आना या बार-बार मुंह का सूखना
- अचानक से गर्मी का एहसास होना
- नींद का न आना
- स्तनों में बदलाव
- बालों का झड़ना
- सोने के समय पसीना का आना
- बार-बार मूड स्विंग होना
- थकान महसूस करना
- जोड़ों में अक्सर दर्द की शिकायत रहना
- आप्लावधि समृद्धि
- किसी भी काम पर पूर्ण रूप से ध्यान केंद्रित न कर पाना
मेनोपॉज़ के बाद महिलाएं खुद का ध्यान कैसे रखें ?
डॉक्टर सुमिता सोफत का यह भी कहना है की हर मामलों में यह ज़रूरी नहीं होता है कि महिलाओं को मेनोपॉज़ के इलाज लिए दवाओं का ही सेवन करना होता है | कई बार कुछ एहतियात बरतने से भी इस समस्या को कम किया जा सकता है, जिनमें शामिल है :-
- संतुलित आहार को अपनाएं :- शाकाहारी भोजन को अपने संतुलित आहार में शामिल करें | मांसाहारी भोजन में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सबसे अधिक होती है, इसलिए ऐसे भोजन से परहेज करें | फाइबरयुक्त भोजन को भी अपनी डाइट में शामिल करें | तली हुई चीज़ों का सेवन बिलकुल भी न करें |
- कैल्शियम को अपनी डाइट में शामिल करें :– मेनोपॉज़ के दौरान महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की भरी गिरवाट आ जाती है | इसलिए मेनोपॉज़ से पीड़ित महिला को अपने डेली डाइट में नियमित रूप से कैल्सिम को शामिल करना चाहिए |
- प्रतिदिन व्यायाम करें :- व्यायाम करने से हर विकारों का सरल ढंगों से इलाज किया जा सकता है | इसलिए महिलाओं को इस दौरान प्रतिदिन आधा घंटा व्यायाम करना चाहिए |
- योगासन करें :- योग से महिला के शरीर को कई तरह के फायदे प्राप्त हो सकते है, क्योंकि योग करने से शरीर में ऊर्जा और दिमाग तंदुरुस्त हो जाता है | इसलिए रोजाना योगासन करें |
यदि यह सब करने के बाद भी स्थिति में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है तो बेहतर है की अपने डॉक्टर के पास जाएं और इस समस्या की अच्छे से जाँच-पड़ताल करवाएं | इसके लिए आप द सोफत इनफर्टिलिटी एंड वुमन केयर सेंटर से भी परामर्श | इस संस्था के डॉक्टर सुमिता सोफट इनफर्टिलिटी और आईवीएफ में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या से पीड़ित महिलाओं का पिछले 28 वर्षों से सटीक तरीकों और स्थायी रूप से इलाज कर रही है | इससे जुडी अधिक जानकारी के लिए आज ही द सोफत इनफर्टिलिटी एंड वुमन केयर सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में दिए गए नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |