ओवेरियन सिस्ट अधिकतर मामलों में अक्सर सौम्य होता है, लेकिन यह कई महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित कर सकती है | ओवेरियन सिस्ट को डिम्बग्रंथि पुटी भी कहा जाता है, यह महिला के अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी हुई एक थैली होती है | ओवेरी या फिर अंडाशय महिलाओं के प्रजनन प्रणाली का एक हिस्सा होता है, जो गर्भाशय के दोनों तरफ पेट के निचले हिस्से में स्थित होती है | महिलाओं में ओवरी दो तरह के मौजूद होते है | ओवर का मुख्य कार्य अंडे, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन का उत्पादन करना होता है | ओवेरियन सिस्ट ओवरी या फिर अंडाशय से बनने वाली एक सिस्ट होती है, जिसकी आकृति बंद थैली की तरह होती है | आइये जानते है ओवेरियन सिस्ट के बारे में विस्तार पूर्वक से :-
ओवेरियन सिस्ट क्या है ?
महिलाओं के ओवरी में सिस्ट का उत्पन्न होना बहुत आम समस्या है, प्रत्येक महिला ने कभी न कभी अपने जीवनकाल में इस समस्या का सामना ज़रूर किया होता है | ओवरी के अंदर थैलीनुमा रचनायें होती है जो द्रव से भरा हुआ होता है | मासिक धर्म चक्र के दौरान हर महीने इस थैली के आकार की संरचना उभर कर बाहर की तरफ आ जाती है, जो फॉलिकल्स के नाम से जानी जाती है | इन फॉलिकल्स से एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन निकलते है, जो ओवरी में तैयार हुए अंडे के निकासी में सहायक होते है | कई मामलों में यह देखा गया है की मासिक धर्म चक्र की निश्चित अवधि खत्म होने के बावजूद फॉलिकल्स का आकार बढ़ता जाता है, जिससे ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है |
ओवेरियन सिस्ट होने के मुख्य कारण क्या है ?
मासिक धर्म चक्र के दौरान हर महीने थैली के आकार की संरचना उभर कर आती है, जो फॉलिकल्स के नाम से जानी जाती है | इन फॉलिकल्स से एस्ट्रोजन और प्रोस्ट्रोजेन नामक निकलते है, जो अंडाशय से तैयार हुए अंडे के निकासी के लिए सहायक होते है | कुछ मामलों में मासिक धर्म की निश्चित अवधि ख़तम होने के बाद भी फॉलिकल्स का आकर बढ़ता रहता है, जिसे ओवेरियन सिस्ट भी कहा जाता है | आमतौर पर ओवेरियन सिस्ट हानिकारक नहीं होते है और कई बार खुद से ठीक हो जाते है | लेकिन कई बार यह ओवेरियन सिस्ट ठीक नही होते है, जिससे महिलाओं को काफी परेशानियों से सामना करना पड़ जाता है |
ओवेरियन सिस्ट के मुख्य लक्षण क्या है ?
कई बार ओवेरियन सिस्ट के उत्पन्न होने लक्षण नज़र नहीं आते है, लेकिन जैसे-जैसे इसके आकार में वृद्धि आती है, वैसे-वैसे इसके लक्षण भी बढ़ने लग जाते है | जिनमें शामिल है :-
- पेट में सूजन आना या फिर फूला हुआ महसूस होना
- पेट में दर्द रहना
- बुखार का आना
- बेहोशी या फिर चक्कर आना
- संभोग के दौरान दर्द का अनुभव होना
- स्तनों में दर्द होना
- पीठ के निचले हिस्से में या फिर जांघों में दर्द होना
- जी मिचलाना या फिर उल्टी आना
- कब्ज की समस्या होना
- अनियमित रूप से मासिक धर्म
- थकान और कमज़ोरी महसूस होना
- मल त्यागने दौरान दर्द का एहसास होना
- मासिक धर्म से पहले पेल्विक दर्द का अनुभव होना आदि |
ओवेरियन सिस्ट से कैसे पाएं निदान ?
यदि आप ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षणों से गुजर रहे है तो बेहतर यही है की आप डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं, ताकि जल्द से जल्द इस समस्या से पड़ने वाले प्रभावों को कम किया जा सके, क्योंकि स्थिति गंभीर पर यह आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकती है | ओवेरियन सिस्ट से निदान पाने के लिए आमतौर पर डॉक्टर द्वारा पेल्विक परीक्षण, अल्ट्रासाउंड इमेजिंग और हार्मोन के स्तर को मापने के लिए रक्त का परीक्षण किया जाता है, क्योंकि उपचार के विकल्प ओवेरियन सिस्ट के आकार, प्रकार, लक्षणों और महिला की आयु पर निर्भर करता है |
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