आम तोर पर जब लोगों का पेशाब रुक जाता है तो येउनके लिए बहुत ही मुश्किल भरा समय हो सकता है, और काफी परेशानी खड़ी कर सकता है और इसी दौरान जब एक गर्भवती महिला का पेशाब रुक जाता है तो उसको बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जैसे की हम सभी जानते हैं की जब एक महिला के गर्भावस्था में होती है तो उसके शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जिसमें से एक है मूत्र ठहराव मतलब पेशाब का रुक जाना।
इस स्थिति में महिला का पेशाब रुक जाता है या फिर पुरे तरीके से खाली नहीं हो पाता है जिससे गर्भवती महिलाओं को पेशाब की जगह पर संक्रमण (यूटीआई) और अन्य जटिलताओं का खतरा हो जाता है और इस समस्या को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, ऐसा न करने पर ये एक गंभीर समस्या बन सकती है। और वही ये समस्या महिलाओं में किन कारणों की वजह से पैदा होती हैं इसके बारे में जानेंगे
पेशाब का रुकना क्या है?
महिला के गर्भावस्था के दौरान बढ़ता हुआ गर्भाशय पर काफी दबाव डाल सकता है और मूत्राशय तेजी से भर जाता है जिससे महिला को एक नहीं बार बार पेशाब आता है। आपको बता दे की एक स्वस्थ मूत्र प्रणाली में, पेशाब गुर्दे से मूत्रवाहिनी के जरिये ब्लैडर में प्रवाहित होता है। जहाँ इसको पेशाब के दौरान मूत्रमार्ग के जरिये बाहर निकलने तक इसको स्टोर किया जाता है। यह भरी दबाव मूत्राशय को खाली होने से रोक सकता है, जिसकी वजह से गर्भवती महिला का पेशाब रुक जाता है।
मूत्र ठहराव के लक्षण

- पेशाब करने बाद ब्लैडर का पुरे तरीके से खाली न होने का अहसास
- महिला का बार पेशाब के लिए जाना और अनियमित पेशाब आना
- बार बार पेशाब करने की इच्छा का होना।
- पेल्विक क्षेत्र में दर्द का होना या फिर असुविधा का होना
- पेशाब रिसाव होने की असंतुष्ट-ता
- पेशाब करने समस्या होना
- पेशाब का रुक जाना
- बुखार होना
- ठंड लगना
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
- उल्टी होना।
पेशाब रुकने के कारण
- महिला के ब्लेडर से जुड़ी बीमारियां।
- पेशाब नली की इन्फेक्शन।
- मूत्राशय की नसों का डैमेज होना।
- ये समस्या प्रोस्टेट के बढ़ने से भी हो सकती है।
- खान पैन में कमी का होना।
गर्भावस्था के दौरान मूत्र ठहराव का निदान
गर्भावस्था के दौरान इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए रोगी के इतिहास, शारीरिक जांच और नैदानिक परीक्षणों का संयोजन शामिल है। महिला की शारीरिक जांच और मूत्र परीक्षण यूटीआई को दूर करने में मदद करती है इसके अलावा अल्ट्रासाउंड या यूरोडायनामिक अध्ययन ब्लैडर के कार्य का आकलन करने और कोई भी अंतर्निहित समस्या की पहचान करने के लिए किया जाता है।
मूत्र ठहराव का उपचार
गर्भावस्था के दौरान पेशाब का रुकना जीवनशैली में बदलाव और रूढ़िवादी उपचारों से प्रबंधित किया जा सकता है, जैसे:

1. जलयोजन
काफी मात्रा में तरल पदार्थ को पीने से पेशाब पतला हो जाता है और बार-बार पेशाब आता है, जिससे महिला को संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
2. बार-बार पेशाब आना
2022 की खोज के अनुसार अगर पेशाब लम्बे समय तक ब्लैडर रखा जाये तो बैक्टीरिया बढ़ सकता है और पेशाब की जगह पर संक्रमण पैदा हो सकता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वह नियमित रूप से कम से कम हर 2-3 घंटे बाद पेशाब करें ताकि ब्लैडर के बहुत ज्यादा फैलाव और ठहराव को रोका जा सके।
3. उचित स्थिति
महिलाओं को आगे की और झुक कर पेशाब करना चाहिए और आगे झुकने जैसी तकनीकों का उपयोग करने से ब्लैडर को खाली करने में मदद मिल सकती है।
4. एंटीबायोटिक्स
अगर डॉक्टर को यूटीआई का लगता है तो वह एंटीबायोटिक्स का एक कोर्स निर्धारित करता है, जो कि गर्भावस्था के लिए सुरक्षित होते हैं। जटिलताओं को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स का कोर्स को पूरा करना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।
5. पेल्विक फ्लोर व्यायाम

केगेल कसरत पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और ब्लैडर कंट्रोल को बेहतर बनाते हैं और मूत्र प्रतिधारण को कम करता है.
निगरानी
पेशाब रुकना और यूटीआई लक्षणों की निगरानी करने के लिए नियमित जनम से पहले जांच करना बहुत जरूरी होता है।
निष्कर्ष :
गर्भावस्था के दौरान महिला का पेशाब रुकना एक आम समस्या नहीं होती है अगर इसका इलाज समय पर नहीं होता तो महिला के मुरतशय वाली जगह पर सक्रमण हो सकता है और पेशाब न आने की वजह से बैक्टीरिया भी बढ़ सकते हैं और जिसे काफी नुक्सान हो सकता है इस लिए महिला को इसके बचाव के लिए ज्यादा तरल वाली वचिजों का सेवन करना चाहिए, पेल्विक फ्लोर व्यायाम करना चाहिए और 2 से 3 घंटे बाद पेशाब करने के लिए जाना चाहिए इससे ब्लैडर के बहुत ज्यादा फैलाव और ठहराव को रोका जा सकता है। अगर आपको भी पेशाब रुकने जेस्सी समस्या का सामना करना पढ़ रहा है और आप इस परेशानी से बचने का समाधान ढूंढ रहे हैं तो आप आज ही सुमिता सोफत अस्पताल जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और अपनी इस परेशानी का हल करवा सकते हैं और इसके विशषज्ञों से इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।