पुरुष बांझपन के उपचार के लिए सामान्य औषध और दवा
केवल महिलाओं में ही बाँझपन की समस्या नहीं होती बल्कि पुरषों में भी यह समस्या हो सकती है | बाँझपन की जिम्मेदार जायदातर महिलाओं को माना जाता है लेकिन पुरष भी इसके लिए बराबर के हिस्सेदार हैं | पुरषो में इस समस्या के कुछ ही कारन होते हैं |
सिर्फ एक शक्राणु के विश्लेषण से ही समस्या का आधार पता चल जाता है | शक्राणुओं की गिनती कम हो सकती है | बहुत से मामलों में शक्राणु गतिशील नहीं होते , जिस कारन गर्भधरण नहीं हो सकता | कुछ मामलों में हार्मोन्स भी इसे प्रभावित करते हैं |
इन सबके लिए जिम्मेवार करक निम्नलिखित हैं –
– धुपार्पण
– शराब की लत
– किसी दवा का गलत उपयोग
– तनाव
– मानसिक सेहत अदि बहुत से कारक हैं |
उपचार –
पुरुष बांझपंन का उपचार महिला बाँझपन उपचार से बहुत सरल है क्यूंकि जो हार्मोन्स महिला प्रजनन में कम करते है उससे आधे हार्मोन्स पुरुष प्रजनन में काम करते हैं |
इसके उपचार में काम करने वाली दवाओं के नाम हैं –
१. क्लोमीफीन –
इस दवा का उपयोग महिलों के अंडाशय में अंडे पैदा करने के लिए किया जाता है | यह एक उत्तेजित दवा है , इसीलिए इसका उपयोग पुरुषों में अहकरणु की गतिशीलता को बढ़ने के लिए किया जाता है |
२. लेट्रोज़ोले
शक्राणुओं के उपचार की लिए यह बहुत बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है | यह शक्राणुओं की गिनती बढ़ने में बहुत कारगर है |
३. मानव रजनोवृत्ति गोनाडोट्रोपिन –
पुरुष को सम्भोग के लिए तैयार करता है और संखलित होते समय शकरणुओं की अच्छी गणना रखता है |
४. टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शंस या गोलियां
शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा कम हो जाती है जिस कारन बाँझपन पैदा होता है | इस दवा से उसे पूरा किया जाता है |
५. ब्रोमोक्रिप्टीने
इस दवा का उपयोग शरीर में प्रोलैक्टिन के स्तर को निश्चित करने के लिए किया जाता है |
क्या प्रजनन दवाओं का उपयोग सुरक्षित है ?
प्रजनन दवाओं का उपयोग केवल चित्सक की सलाह से ही करना चाहिए | आपकी स्थिति के हिसाब से जो दवा आपके लिए बेहतर होगी उसकी की आपका चित्सक सलाह देगा |
क्या यह दवा काम करती है ?
पुरुष के शरीर में इनकी काम करने की क्षमता महिला के शरीर के मुकाबले कम है | फिर भी यह अच्छा काम करते हैं |
दवाओं के दुष्प्रभाव –
अन्य दवाओं की तरह इनका दुष्प्रभाव भी हो सकता है | इसीलिए सलाह दी जाती है चित्सक की सलाह से ही इनका सेवन करें |
– अस्थायी नजर का धुंदलापन
– दिल को नुकसान
– शरीरक हार्मोन्स परबह बदल जाना |