आईवीएफ तकनीक भरत में बहुत सालों से प्रचलन में है | यह उपकाहर बाँझपन के लिए होता है और भारत इसके लिए एक बहुत तेजी से उभरता हुआ चिकत्सा का बाजार बन रहा है | पूरी दुनिआ से लोग जायदातर आईवीएफ के लिए भारत में आ रहे हैं| IVFCentre in Punjab
बाँझ के पास यही एक मौका होता है की वह गर्भवती बना सके | अत्यादुनिक उपकरणों और अनुभवी चित्सकों की मदद से इसके नतीजे बहुत शानदार निकल रहे हैं |
दुनिआ भर में भी आईवीएफ उपचार के बहुत बड़े केंदर है , जहाँ पर उपचार की गुणवत्ता भी बहुत होती है | इन सबके बावजूद और करंसी मूल्य के हिसाब से भारत आईवीएफ ले किये बहुत सस्ता माना जाता है |
आईवीएफ/परखनली शिशु क्या है ?
इन–विट्रो फ़र्टिलाइज़र , इस तकनीक में प्रजनन समस्यों का समाधान किया जाता है | जब कोई युगल कुदरती तरिके से गर्भधारण न कर पाए और इसका कारन महिला की फ़ेलोपियन नलिका हो या फिर पुरुष की शक्राणु प्रकार्य प्रणाली | दोनों हालतो में जुगल कभी भी माता–पिता नहीं बन सकते | उनके लिए आईवीएफ जीवनदायक पर्किर्या है |
पर्किर्या –
महिला के शरीर से बाहर प्रयोगशाला की परखनली में भ्रूण तैयार किया जाता है | इसके लिए महिला के अंडे और शक्राणु की जरूरत होती है | जो सब काम प्रजनन के समय महिला के गर्भसहि में होते हैं वही सब काम परखनली में किये जाते है |
विशेष्य एवं प्रजनन माहिरों का मानना है की महिला की आयु ४२ से अधिक हो तब आईवीएफ नहीं करना चाहिए क्यूंकि इसकी सफलता दर सिर्फ ४ प्रतिशत रह जाती है |
इसकी पूरी सफलता दर अंडे की गुणवत्ता और उपचार कर रहे चित्सक के अनुभव पर निर्भर करती है |
सावधानियां –
आईवीएफ उपचार/ परखनली शिशु एक बहुत ही सुखम उपचार की तकनीक है | इसमें जरा सी भी कोई लापरवाही या चूक पुरे उपचार के नतीजे खराब कर सकती है , उपचार दोबारा करवाना पड़ सकता है | पहली बार के लगे हुए पैसे सार्थ हो जायेंगें |
महिला को कुदरती गर्भधारण नहीं हुआ है बल्कि बहार से बच्चा उसके पेट में रखा गया है | अगर कोई भारी काम करने से वह बच्चा जरा सा भी हिल गया तो दोबारा गर्भपात हो जायेगा |
खाने पीने की आदतों का खास ध्यान रखा जाना चाहिए महिला को स्वस्थ होना चाहिए | अगर महिला स्वस्थ नहीं होगी टन उसक गर्भशय बच्चे को संभाल नहीं पायेगा |
चिकत्सक की हर छोटी बड़ी बात मने जयंती भी दवायां और परहेज बोलै जाता है सबकी समयपूर्वक करते रहना किये | बच्चे सबसे अनमोल तोहफा होते है , इनका पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए |
इस तकनीक में केवल महिलों का ही उपचार नहीं होता बल्कि उन पुरषों का भी उपचार किया जाता है , जिन्हे शक्राणु से सम्भंदित कोई समस्या होती है | उनके शक्राणुओं का उपचार भी किया जाता है |
आईवीएफ उपकाहर स्वस्थ्य बीमा कर अंतर्गत आता है ?
इस बात के अभी तक कोई ठोस नतीजे नहीं मिले हैं | बहुत से लोगों का मन्ना है की बाँझपन का उपचार बीमा कवर के अंदर होना चाहिए , वहीँ पर कुछ का मन्ना है की नहीं होना चाहिए | भारत में बाँझपन का उपचार बीमा कवर के अंदर नहीं है |