आईवीएफ ट्रीटमेंट क्या होता है ?
आज के समय में लोगों की बदलती जीवन शैली कामकाजी और इसके चलते शादी न करने और खान-पान से लेकर रहन-सहन तक, सभी चीजों में बदलाव आया है। जीवन-जीने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। जिसका सीधा असर महिलाओं की प्रेग्नेंसी पर पड़ता है। वह कंसीव नहीं कर पाती हैं, और आगे कंसीव हो भी जाये तो मिसकैरेज जैसी समस्याएं बनी रहती हैं। ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए लाखों लोग आईवीएफ ट्रीटमेंट का सहारा लेते हैं। जानते हैं कि IVF ट्रीटमेंट क्या होता है।
आइवीएफ को इन विट्रो फर्टीलाइजेशन के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें की IVF प्रकिरिया के दौरान महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणुओं को लैब में फर्टिलाइज़ करने के बाद भ्रूण को बनाया जाता है और फिर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरिक दिया जाता है। इस पूरी प्रकिरिया को आइवीएफ़ या टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया के नाम से भी जाना जाता है।
IVF उपचार से आंखों की रोशनी पर क्या प्रभाव पड़ता है?
बहुत से लोग हर साल IVF करवाते हैं और हर साल लाखों जोड़ों में बांझपन की समस्या पाई जाती है। और इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए जोड़े IVF को चुनते हैं। जिसके उपचार से उनको गर्भधारण करने में मदद मिलती है। इस प्रकिरिया के दौरान महिलाओं के अंडाशय को ओव्यूलेशन को प्रेरित करने के लिए फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन की उच्च खुराक को दिया जाता है। इस प्रकिरिया को प्रयोगशाला के वातावरण में जारी रखा जाता है। जहां पर अंडों को प्रयोगशाला में इकठा किया जता है, और उनको उपजाऊ बनाया जाता है। एक सफल गर्भावस्था की उम्मीद के साथ ही उनको दुबारा बच्चेदानी में स्थानांतरित किया जाता है।
फिर इसके उल्ट कुछ लोगों का मानना है कि IVF के दौरान आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि इतने बड़े पैमाने पर हार्मोन का भारी दबाव कॉर्निया को कमजोर कर रहा है। क्योंकि शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का उच्च उत्पादन होने के कारण भारी एस्ट्रोजन स्तर कॉर्निया को नरम करता है, और FSH एस्ट्रोजन के उत्पादन को उत्तेजित करता है। यह एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, अगर IVF प्रकिरिया करवाने वालों की कॉर्निया में पहले से कोई कमजोरी छुपी हुई है, जैसे फ़ॉर्मे फ्रुस्टे केराटोकोनस तो ये आपके लिए बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती हैं। और इस तरीके की बीमारी हार्मोन के प्रवाह के कारण पैदा होती है जो की आपकी आँखों को पूरी तरीके से खराब कर सकती है।

दैनिक कार्य में आंखों के रोशनी की भूमिका
- इस बात को कोई जुठला नहीं सकता है की आँखें हमारी जिंदगी का हिस्सा हैं और ये हमारी दिनचर्या के कार्य को शुरू या फिर उनको खतम करने में हमारी मदद करती है चाहे वह काम बड़ा हो या फिर छोटा आँखों की रौशनी इसमें अहम् भूमिका निभाती है।
- तो जैसा की हम सभी जानते हैं की आँखें हमारी कितनी ज्यादा मदद करती है, तो हमारा भी फ़र्ज बटन है की इनको ठीक रखें और समय पर इनका चेकअप करवाएं क्योंकि आँखें हमारे शरीर में भी एक अहम भूमिका को निभाती हैं।
इस समस्या को ठीक करने के लिए क्या सावधानियां बरतें ?
हाल ही में किए गए एक शोध से पता चलता है कि मनुष्यों में IVF और कॉर्निया में होने वाले बदलाव के बीच कोई सीधा संबंध अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन इस चीज का पता है की उच्च एस्ट्रोजन स्तर कॉर्निया को कमजोर और दृष्टि को बदल सकता है (जिसका उत्पादन FSH के नियंत्रण अधीन होता है।) अगर IVF उपचार के बाद आपको अपनी आँखों में कोई भी कमी या दृष्टि में कठिनाई दिखे तो अपने आप को दोषी महसूस न करें और कृपया सबसे अच्छे नेत्र चिकित्सक को दिखाएं और अपने कॉर्नियल बायोमैकेनिक्स की समय पर जांच करवाएं।
आँखों को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज

- 5 से 10 मिनट के लिए अपनी आखो को हथेली से सही ढंग से ढक कर रखना।
- ऊपर-नीचे की और अपनी आँखों को घुमाना।
- भस्त्रिका प्राणायाम योगासन (फेफड़े, कानों, नाक और आंखों पर इसका सीधा असर पड़ता है।
स्वस्थ आँखों के लिए अच्छे आहार का सेवन
- रोजाना हरी पत्तेदार सब्जियां खाना
- संतरे, अंगूर, नींबू, जामुन, पपीते और खट्टे फल का सेवन।
- नट्स का सेवन।
- बीन्स का सेवन।
- सूरजमुखी के बीज और अखरोट का सेवन।
आँखों के लिए लाभकारी विटामिन्स
आँखों के लिए लाभकारी विटामिन्स जो हमारी आँखों को स्वस्थ रखते हैं जैसे
- विटामिन ए
- विटामिन बी
- विटामिन सी
- विटामिन इ
इन विटामिन्स को हमारी आँखों के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी माना जाता है और अगर आप ऐसे विटामिन्स से भरपूर आहार का सेवन रोजाना करते हैं तो हमारी आंखों और हमारे शरीर को काफी अच्छा रिजल्ट देखने को मिल सकता है।
आँखों को स्वस्थ रखने के लिए ध्यान देने वाली बातें
- कंप्यूटर स्क्रीन और टीवी देखने के बीच में ब्रेक लें
- अपनी आँखों को तेज रोशनी से बचने के लिए अपनी आँखों पर सनग्लासेस पहनें।
- स्मोकिंग का इस्तेमाल न करें
- अच्छी नींद लें इससे आंखों को आराम मिलता है।
IVF और केराटोकोनस

केराटोकोनस समस्या जब पैदा होती है जब आपका कॉर्निया पतला हो जाता है, और ये बाहर की ओर शंकु के आकार में उभरने लगता है। एक बार जब ये पूरी तरिके से बन जाता है तो आपकी नज़र धुंधली हो सकती है। इसके कारण आप चमक और रौशनी के प्रति संवेदनशील महसूस कर सकतें हैं। केराटोकोनस की समस्या आपकी दोनों आँखों पर प्रभाव डाल सकता है। और एक आँख को दूसरी आँख की तुलना में ज़्यादा गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। यह समस्या आम तोर पे 10 से 25 साल की उम्र के बीच में बड़े पैमाने पर विकसित होती है। 10 साल में इसका प्रभाव दिखने लगता है और आपके कॉर्निया को नुकसान पहुँचाता है।
अगर आप IVF प्रक्रिया के बारे में सोच रहें हैं और आप केराटोकोनस जैसी समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको सबसे पहले कॉर्नियल का इलाज करवाना चाहिए और कॉर्नियल विशेषज्ञ से मिलना चाहिए जो आपको सही सलाह देंगे और सही विकल्प चुनने में आपकी मदद करेंगे।
निष्कर्ष :
आँखें हमारी जिन्दगी का एक अहम हिस्सा होती हैं। IVF के उपचार के दौरान आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है IVF के दौरान बड़े पैमाने पर हार्मोन का भारी दबाव आँखों की रौशनी को प्रभावित कर सकता है। पर अपनी जिंदगी में कुछ बदलाव करके जैसे अपने आहार में आप खट्टे फल और पपीता अनार जैसी चीजों का सेवन कर सकते हो, और एक्सरसाइज, विटामिन ए, बी सी और ई से भरपूर आहार का सेवन करने से हम आपकी आँखों को स्वस्थ रख सकते हैं। पर फिर भी IVF करवाने से पहले अपनी आँखों को सबसे अच्छे नेत्र चिकित्सक को दिखाएं और अपने कॉर्नियल बायोमैकेनिक्स की समय पर जांच करवाना एक सही विकल्प होता है। इस दौरान अपने आप को दोषी नहीं मानना चाहिए और अगर आप भी IVF से जुड़ी कोई भी जानकारी या IVF करवाना चाहते हैं तो आप आज ही सुमिता सोफत अस्पताल जाकर इसके विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।