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IVF विशेषज्ञों से जाने, किन बातों पर आईवीएफ की सफलता दर निर्भर करती है?

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आम तोर पर जो भी जोड़े IVF प्रक्रिया में भाग लेते हैं, उसने इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी होती है कि ये बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती है और फिर भी लाखों करोड़ों लोग इसको करवाते है क्योकि माँ- बाप बनना किसको पसंद नहीं होता। माँ बाप बनना एक सौभाग्य वाली बात होती है। पर पिछले कुछ दस वर्षो में दुनिया में शहरीकरण, बदलती जीवन शैली और महिलाओं का देर से विवाह करने के कारण दुनिया भर में बांझपन बढ़ गया है। जिससे की ज़्यादातर जोड़े अब बच्चे को पाने के लिए IVF प्रक्रिया का सहारा लेते हैं, और अपने अधूरे सपने इस प्रक्रिया के जरिए सफल बनाते हैं। हालांकि कुछ जोड़े अक्सर बच्चे को पैदा करने में काफी दुःख झेलते हैं, और कई बारी असफल हो जाते हैं, क्योंकि IVF प्रक्रिया काफी जटिलतायों और परेशानियों से भरी होती है और IVF प्रक्रिया में असफलता की आशंका भी बनी रहती है। लोग फिर भी इस विधि का चुनाव करते हैं क्योंकि महिलाओं और पुरषों में बांझपन की समस्या अधिक बढ़ रही है इसके कई संभावित कारण होते हैं जैसे की खराब जीवनशैली, महिलायों का देर से शादी करना, बच्चा देर से प्लान करना आदि ने महिअलों और पुरषों में बांझपन की समस्या को बढ़ावा दिया है। इसके चलते लोगों के जीवन की बढ़ती गति और तनाव के कारण भी आज के जोड़ों को गर्भधारण करने में बहुत साडी परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है। इसके चलते लोग अपनी दिलचस्पी IVF प्रक्रिया की तरफ दिखा रहे हैं, और आज के मॉडर्न जमाने में आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर किस बात पर निर्भर करती है?

आईवीएफ की सफलता दर निर्धारित करने वाले कारक

1 . पिछली प्रेगनेंसी 

पिछली प्रेग्नेंसी जैसे की एक महिला की नेचुरल तरिके से प्रेग्नेंसी सामान्य और सफल रही है, तो महिला की सफलतादर अगली प्रेग्नेंसी में अपने आप बढ़ जाती है। ऐसा ही IVF की प्रक्रिया में होता है, अगर महिला की पिछली IVF प्रक्रिया सफल और सामान्य रही है, तो दूसरे IVF प्रक्रिया में उसकी सफलता दर अपने आप बढ़ जाती है। अगर महिला के मिसकैरेज कई बरी हो चुके हैं तो ऐसे में IVF के सफ़ल होने की सम्भावना कम हो जाती है। 

2. महिला की उम्र 

IVF सफल होने में महिला की उम्र सबसे ज्यादा मायने रखती है कह सकते हैं की एक अहम रोल IVF की सफलता दर में महिला की उम्र निभाती है, अगर महिला की उम्र लगभग 24 से 34 वर्ष की है, तो इन महिलाओं में अधिक फर्टाइल होती हैं और IVF प्रक्रिया की सफलता दर अधिक हो जाती है। हालांकि जब तक महिलाएं 40 वर्ष की उम्र में पहुँचती हैं तो उनकी IVF की सफलता दर लगभग 13.6 फीसदी तक गिर जाती है। हालांकि इस बात को टाला नहीं जा सकता की जब तक महिला रिप्रोडक्टिव रहती हैं, आईवीएफ प्रक्रिया के सफल होने की संभावना तब तक रहती है। 

3 . प्रजनन संबंधी समस्या

आम तोर पर जो महिलाएं  प्रजनन संबंधी समस्या का शिकार होती हैं, दरअसल व्ही महिलाएं IVF प्रक्रिया करवाती हैं। अगर प्रजनन संबंधी समस्या महिलाओं को ज्यादा गंभीर रूप से नहीं है पर फिर भी वह नेचुरल तरिके से संकीव नहीं  कर पा रही है, तो वह IVF प्रक्रिया का सहारा लेकर प्रजनन संबंधी समस्या से जीत जाती है और सफ़लता पूर्वक संकीव कर सकती है। प्रजनन संबंधी समस्या जैसे की फाइब्रॉएड ट्यूमर, बांझपन, ओवरी से जुड़ी समस्या और गर्भाशय संबंधी असामान्यताएं आदि ये कई प्रकार की होती है। IVF प्रक्रिया से प्रजनन संबंधी कई तरह की समस्याओं को सफलतापूर्वक हटाया जा सकता है।

4. भ्रूण और अंडे की गुणवत्ता

महिला के अंडे और भ्रूण की गुणवत्ता पर ही IVF की सफलतादर निर्भर करती है, अगर महिला के भ्रूण और अंडे की गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी, कंसीव करने की संभावना उतनी ज्यादा होती है। IVF के जरिये कंसीव करना मुश्किल हो जाता तब वीर्य की गुणवत्ता खराब होती है। पुरुष प्रजनन भी भ्रूण को बहुत ज़्यादा प्रभावित करता है। यदि पुरुष को भी प्रजनन संबंधी समस्याएं हैं तो उनको अपना इलाज करवाना चाहिए और अगर महिला डोनर एग का सहारा लेकर आईवीएफ प्रक्रिया करवाती यही तो उनको डोनर की उम्र और फर्टिलिटी के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। 

5. एंब्रियो ट्रांसफर प्रक्रिया 

IVF प्रकिरिया में एंब्रियो ट्रांसफर ट्रीटमेंट सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चरण है। गर्भाशय में सफल प्रत्यारोपण और भ्रूण का स्वास्थ्य होना बहुत जरूरी है। उस वक़्त IVF प्रक्रिया पुरे तरिके फेल हो जाती है, जब एंब्रियो ट्रांसफर असफल हो जाये। 

 6. लाइफस्टाइल से जुड़े कारक

 जीवनशैली  से जुड़े कारक भी IVF प्रक्रिया के सफल होने के पीछे जिम्मेदार होते हैं।इस प्रकिरिया को करवाने से पहले शराब के सेवन से दूर रहना पड़ता है, कम से कम तीन महीने पहले तक, जो महिलायें नशा अदि या धूम्रपान करती हैं उनकी IVF की सफलतादर पर प्रभाव पड़ता है।  IVF प्रकिरिया तभी सफल होती है, जब संतुलित वजन, अच्छी डाइट और दवाओं को समय पर लेना बातों को ध्यान में रखा जाता है। महिलाएं अपनी जीवनशैली में बदलाव करके अपने IVF की सफलतादर को बढ़ावा दे सकती हैं। 

निष्कर्ष :

IVF एक सफल प्रकिरिया है जिसको सभी जोड़े अपनी संतान प्राप्ति के लिए करवाते हैं, और इसकी सफलतादर महिला की पिछली प्रेगनेंसी, महिला की उम्र, भ्रूण और अंडे की गुणवत्ता और लाइफस्टाइल से जुड़े कारकों पर निर्भर करती है।अगर आप भी IVF प्रक्रिया करवाना या इसके बारे में समझना चाहते हैं तो आप सुमिता सोफत हॉस्पिटल जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से जानकारी और ट्रीटमेंट ले सकते हैं।

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