टीबी क्या होता है ?
टीबी को ट्यूबरकुलोसिस भी कहा जाता है। टीबी एक तरीके का संक्रमण होता है, जो कि मुख्य रूप से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। टीबी को क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। जब टीबी से पीड़ित कोई भी व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उस रोग के जीवाणु हवा के जरिये आस पास फैल जाते हैं। असल में टीबी फेफड़ों को ज्यादा प्रभावित करती है और इसके साथ-साथ यह शरीर के कुछ अंगों को भी प्रभावित करती है।
एक समय पर अगर टीबी का इलाज ना किया जाये तो ये जानलेवा भी साबित हो सकती है। फेफड़ों को ज्यादातर प्रभावित करने वाली टीबी, यह टीबी का सबसे आम प्रकार होता है। आम तोर पर ये बीमारी उन लोगों को ज़्यादा होती है जिनका इम्युनिटी सिस्टम कमजोर या फिर जिनको मधुमेह, एड्स जैसी खतरनाक पुरानी बीमारियाँ होती हैं। यह एक कोरोना की तरह खांसी या छींक द्वारा एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
फीमेल जननांग टीबी क्या होता है ?
महिला जननांग टीबी एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं को असुविधाजनक लक्षण और गर्भवती होना मुश्किल हो सकता है। जननांग टीबी एक प्रकार का तपेदिक है जोकि महिलाओं के गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय जैसे प्रजनन अंगों को बहुत ज़्यादा प्रभावित करता है। यह असल में एक बैक्टीरिया के कारण हो सकता है और इससे महिला को कई तरह की बीमारियां जैसे की अनियमित पीरियड्स, पेडू में दर्द, और बांझपन हो सकता है। अगर आपको ऐसा कुछ महसूस या फिर ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो आप अपने डॉक्टर से सलाह कर सकते हैं। उचित उपचार से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
महिलाओं में जननांग टीबी तब होता है जब एक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया उनके प्रजनन प्रणाली पर हमला करता है। यह व्ही बैक्टीरिया होता है, जो कि फुफ्फुसीय टीबी का कारण बनता है। ये पुरुष और महिला के जननांगों में अल्सर की समस्या को पैदा कर सकता है।
जननांग टीबी ज़्यादातर तब फैलता है जब आप किसी बीमार व्यक्ति के सपर्क जैसे की त्वचा, बूंदों या यौन गतिविधि सबंधी कोई भी सबंध बनाते हैं। जिनका इम्युनिटी सिस्टम कमजोर और एचआईवी पॉजिटिव लोग होते हैं ये ज़्यादातर उन लोगों को ही होती है।
दूसरे मामलों में योनि टीबी से पीड़ित रोगी अपनी श्लेष्म झिल्ली को छूकर उसको संक्रमित कर सकता है जैसे की अपने साथी या किसी और के साथ मुख मैथुन करते हैं, जो इस बीमारी से पीड़ित होता है।
ब्रेन टीबी क्या होता है?

आम तोर पर टीबी एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन होती है, जो सिर्फ हमारे फेफड़े में नहीं बल्कि हमारे दिमाग को भी बहुत ज़्यादा प्रभावित करती है। अक्सर लोग इसको नज़रअंदाज कर देते हैं पर इसको नज़रअंदाज करना आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। आपको बता दें की टीबी के बैक्टीरिया होली-होली दिमाग में दाखिल होकर वहां एक गांठ का निर्माण करते है। और यही गांठ होली-होली दिमाग में टीबी का रूप ले लेती है, और जिसके कारण वर्ष दिमाग की झिल्लियों में सूजन या गांठ बनने लगती है और इसको गांठ को मेनिनजाइटिस ट्यूबरक्लोसिस, मेनिन्जाइटिस या दिमागी टीबी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है की दिमागी टीबी किसी भी वर्ग के लोगो और बच्चों को सकता है।
क्या IVF कराने वालों को टीबी की जांच जरूरी है ?
जिन महिलाओं को जननांग टीबी होता है वह IVF प्रकिरिया में शामिल नहीं हो पाती हैं, क्योंकि जिन महिलाओं को ये समस्या होती है उनकी ट्यूब्स टीबी के कारण खराब हो जाती है। टीबी महिलाओं में बाँझपन होने की एक बड़ी समस्या के लिए जिम्मेदार है। इसलिए महिलाओं को इसकी जाँच समय पर करवानी चाहिए ताकि IVF के दौरान उनको किसी भी ऐसी परेशानी का सामना न करना पड़े क्योकि जननांग टीबी एक जानलेवा बीमारी है जो महिलाओं में होती है।
इसलिए IVF विशेषज्ञ IVF प्रकिरिया या गर्भवती होने से पहले महिला को सलाह में टीबी का इलाज, इसकी जाँच को पूरा करवाने और इसका उपचार पूरा हो जाने तक महिला को गर्भधारण न करने की सलाह देते हैं। टीबी को नज़रअंदाज करना घातक हो सकता है। अक्सर इस समस्या से ट्यूब का बंद होना और उसमें पानी भरने जैसी समस्या के कारण महिला गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। और फिर इसके चलते डॉक्टर लेप्रोस्कॉपी का ऑपरेशन कर ट्यूब खुलवाने की सलाह देते हैं।
इसलिए टीबी की नियमित जांच से महिला IVF प्रक्रिया में भाग ले सकती हैं, और गर्भधारण कर सकती हैं।
टीबी की जांच होने के बाद महिलाएं कब IVF प्रक्रिया में भाग ले सकती हैं ?
महिलाओं के टीबी का इलाज पूरा होने के बाद महिलाएं 6 महीनों तक प्राकृतिक रूप से संतान पाने की कोशिश कर सकती हैं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बहुत सारी महिलाओं में ट्यूब का कुछ भाग ठीक होता है और उनका दूसरा भाग खराब होता है और ऐसे में उनको एक्टोपिक प्रेगनेंसी (ट्यूब में भ्रूण का विकास) की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
टीबी रोग का निदान

जननांग टीबी को मूत्र मार्ग पर मूक हमलावर के रूप में भी जाना जाता है इसलिए इसका निदान करना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है। पर डॉक्टर इसके निदान करने के लिए कई तरह के टेस्ट बताते हैं जैसे की
- अल्ट्रासोनोग्राफी
- एंडोस्कोपी
- ट्यूबरकुलिन टेस्ट
- छाती की रेडियोग्राफी
- ऊतक वैज्ञानिक मूल्यांकन
- संस्कृति के लिए मासिक धर्म रक्त
- हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी
- लेप्रोस्कोपी
- गर्भाशयदर्शन टेस्ट
निष्कर्ष :
महिलाओं में टीबी होना एक घातक बीमारी है जो फेफड़ो को ज्यादा प्रभावित करती है, आम तोर पर यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन होती है जो धीरे धीरे शरीर के बाकि अंगों को भी प्रभावित करती है जिसमें दिमाग भी शामिल है ये बैक्टीरिया एक गांठ को बनता है जो एक टीबी का रूप ले लेती है। और इसके अलावा जननांग टीबी महिअलों के लिए बहुत ही असुरक्षित होता है जो उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता और उनकी ट्यूब्स को खराब कर देता है जिसकी वजह से महिलाएं IVF में भाग नहीं ले पाती हैं, इसके उपचार पूरा होने के बाद ही वह गर्भधारण कर सकती है। इसलिए IVF करवाने वालों के लिए टीबी की जाँच बहुत जरूरी होती है। इसके बारे मैं जानकारी लेना चाहते हैं। टीबी के इलाज के बाद IVF को चुनना एक बढ़िया विकल्प होता है अगर आप भी जननांग टीबी जैसे किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं इसके बारे में जानना चाहते हैं और इसके उपचार के बाद IVF प्रकिरिया में भाग लेना कहते हैं तो आप आज ही सुमिता सोफत अस्पताल में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से जानकारी ले सकते हैं।