इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक व्यवहार्य विकल्प उनके लिए प्रदान करता जो जोड़े बाँझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। हालाँकि IVF विकल्प सिर्फ बच्चा पैदा करने की सम्भावना के बारे में नहीं है कुछ लोगों के लिए इस प्रकिरिया से जुड़वां बच्चे होने की उम्मीद भी बढ़ जाती है।आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक ऐसी प्रकिरिया है जिसने की निःसंतान जोड़ों के जीवन में नई उम्मीदें जगाईं हैं। जुड़वां बच्चों का विचार आईवीएफ में रोमांचक, खुशी और चुनौतियों से भरा है। IVF करवाने वाले जोड़ों के में ये विचार जरूर आता है की क्या आईवीएफ से जुड़वा बच्चे हो सकते हैं? और जुड़वां बच्चों की संभावना कितनी है, इसके पीछे का कारण और इससे जुड़े फायदे-नुकसान क्या हैं।
आईवीएफ में जुड़वा बच्चो की संभावना

IVF में जुड़वां बच्चों की सम्भावना बहुत से कारणो पर निर्भर करती है, आम तौर पर, जब दो या इससे अधिक भ्रूण गर्भाशय में ट्रांसफर किए जाते हैं, तो जुड़वा बच्चों की संभावना बढ़ सकती है। कुदरती गर्भधारण में जुड़वा बच्चे होने की संभावना लगभग 1 से 2% तक ही होती है जबकि, आईवीएफ में जुड़वा बच्चों की संभावना 20 से 30% तक हो सकती है। इस प्रकिरिया में जुड़वां बच्चों की सम्भावना इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि IVF इलाज़ में डॉक्टर्स कभी-कभी दो या इससे अधिक भ्रूण गर्भाशय, में ट्रांसफर कर देते हैं ताकि प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ सके, और ऐसे में दोनों भ्रूण गर्भाशय में ठहर जाते हैं और जुड़वा बच्चे होने की सम्भावना अधिक हो जाती है |
IVF प्रक्रिया दौरान जुड़वा बच्चे होने के मुख्य कारण

एक से ज्यादा भ्रूणों की संख्या
IVF के दौरान डॉक्टर दो या इससे अधिक भ्रूण गर्भाशय में ट्रांसफर करते हैं ताकि जोड़ों की सफल प्रेग्नेंसी हो सके, ये विफल न हो और जोड़ों की उमीद टूट न जाये इसलिए वह एक या इससे ज्यादा भ्रूण गर्भाशय में रखते हैं अगर ये दोनों ही गर्भशय में ठहर जाते हैं तो जुड़वा गर्भधारण हो जाता है और जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं |
हार्मोनल दवाइयां या महिला की उम्र
IVF प्रकिरिया में महिला की उम्र सब से जायद महत्वपूर्ण होती है। जुड़वां गर्भधारण में ये एहम भूमिका निभाती है। IVF में जब की महिला की उम्र अंडे की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रबह्व भी डाल सकती है लेकिन IVF में उपयोगकी जाने वाली हार्मोनल दवाइयां जो की ओवरी में कई अंडाणु बना सकती है। इससे ज्यादा भ्रूण बनते हैं जुड़वां बच्चे या तीन बच्चे होने की उम्मीद बढ़ जाती है।
भ्रूण की गुणवत्ता
सबसे पहले IVF में बच्चे की संभावना तभी होती है जब भ्रूण की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होती, अगर भ्रूण की गुणवत्ता अच्छी है तो उसकी गर्भाशय में ठहरने की आशंका अधिक हो जाती है। और कभी कभी दो भ्रूण एक साथ ही स्थापित हो जाते हैं |
जेनेटिक कारण
अगर महिला के परिवार में, विशेष रूप से मातृ पक्ष में, जुड़वा बच्चों का इतिहास है तो जेनेटिक कारण इसमें अहम भूमिका निभाता है स्वाभाविक और संभवत रूप से आईवीएफ के माध्यम से जुड़वा बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है |
IVF प्रक्रिया में जुड़वा बच्चे होने के फायदे
जुड़वा गर्भधारण आम तोर पर ये सभी जोड़ों के लिए एक ख़ुशी की बात होती है। हालांकि IVF के दौरान जुड़वा बच्चे पैदा करने के बहुत फायदे मिलते है जैसे की:
एक बारी में दो बच्चों को पाना क्युकी परिवार जल्दी पूरा हो जाता है।
समय की बचत होती है और खर्च भी कम होता है, क्योंकि IVF प्रक्रिया में बहुत ज्यादा पैसा लगता है। एक ही बार में दो बच्चो का होना एक ख़ुशी की बात होती है।
मानसिक संतुष्टि मिलना क्योकि कई बार लंबे समय तक संतान का ना होने की वजह से वह मानसिक तनाव में रहते हैं और फिर IVF की मदद से जुड़वाँ बच्चों को पाना एक तो तनाव को दूर और मानसिक संतुष्टि देता है |
जुड़वा गर्भधारण से जुड़ी चुनौतियां
IVF में गर्भधारण करने के बाद अक्सर जुड़वां बच्चों का जन्म और डिलीवरी 36 हफ़्तों से पहले हो जाती है,जिसको प्री-मैच्योर डिलीवरी या समय से पहले होने वाली डिलीवरी कहा जाता है, जिससे की बच्चे को NICU प्रकिरिया में देखभाल के लिए कुछ दिन तक रखना पड़ता है।
इसके दौरान माँ की सेहत पर भी काफी असर पड़ता है जुड़वां प्रेगनेंसी के कारण माँ को ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, एनीमिया जैसी परेशानियां हो सकती हैं। जिसकी सावधानी रखना बेहद जरूरी हो जाता है।
इसमें ज्यादा मेडिकल जाँच जैसे की प्रगनेंसी के दौरान बार बार अल्ट्रासाउंड और टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं, जिसनें मानसिक और आर्थिक दबाव में बढ़ोतरी होती है, और ज़यादा से ज़यादा निगरानी की जरूरत पड़ती है
क्या सिंगल भ्रूण ट्रांसफर सही विकल्प है?

अगर महिला की उम्र में कम हो और महिला की भ्रूण की गुणवत्ता काफी अच्छी है, तो इसके दौरान सिंगल ट्रांसफर करके भी प्रेगनेंसी का अच्छा चांस मिल सकता है। इससे जुड़वा गर्भधारण से जुड़ी स्थिति में भी कमी होती है। आम तोर पर आज कल के डॉक्टर सिंगल एम्ब्रियो ट्रांसफर (SET) करने की सलाह देते है। इस में बस एक भ्रूण को ही ट्रांसफर किया जाता है ताकी जुड़वा गर्भधारण का जोखिम कम हो सके।
आईवीएफ में जुड़वा बच्चों के बारे में आम मिथक
क्या हर आईवीएफ में जुड़वां बच्चे होना सम्भव है: ये हो भी सकता है और कई केसों में नहीं भी होता है। ये बात जरूर है की IVF से जुड़वा गर्भधारण संभव है पर हर कैस में ऐसा नहीं होता है।
IVF से जुड़वा बच्चे का कमजोर पैदा होना: हाँ ये बात सच है की IVF प्रकिरिया से जन्में जुड़वां बच्चे आम बच्चों की तरह नहीं होते हैं, बस समय से पहले जन्म लेने के कारण उनकी खास देखभाल करनी बहुत जरूरी होती है।
IVF से जन्में बच्चों का IQ लेवल भी कमज़ोर होता है ये बात सच है, पर इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। बच्चों का मानसिक विकास उनके पोषण और परवरिश पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष: अगर आप भी इस प्रक्रिया संबंधी गहराई तक जानना चाहते हैं तो आज ही best ivf centre in Jalandhar यानी, सुमिता सोफत हॉस्पिटल में अपॉइंटमेंट लें और यहां के एक्सपर्ट से बात करे |